यूँ तो जीवन
होता हैं एक 'परीक्षा'
मगर, इसमें नहीं होती
वैकल्पिक
प्रश्नों की व्यवस्था
नहीं मिलते कभी
भी
किसी सवाल के
चार विकल्प
कि हम चुनकर
कोई एक
हल कर ले उस
घड़ी
उस कठिन
परस्थिति को
भले, न हो ये प्रतियोगी परीक्षा
फिर भी करनी
पड़ती यहां
जीने के लिये
प्रतियोगिता
और यदि कभी दे
गलत उत्तर
तो होती हैं
नेगेटिव मार्किंग
कट जाते तुरंत
अंक
गोया कि इस
इम्तिहान का
नहीं कोई
पाठ्यक्रम
न ही कोई
प्रारूप
न ही कोई
कोचिंग क्लास
न होता कोई
विद्यालय
बस, हर दिन ही मिलती
बिना किसी
प्रश्न पत्र के
बस, इक कोरी उत्तर पुस्तिका
जिसमें लिखने
होते जवाब
अचानक टकराने
वाले प्रश्नों के
ऐसे ही तो नहीं
कहलाती
ये दुनिया की
सबसे कठिन परीक्षा ।।
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
१२ अप्रैल २०१८
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