बुधवार, 4 अप्रैल 2018

सुर-२०१८-९४ : #बाल_कविता_भारी_बस्ता



  
नहीं जाना मुझको स्कूल

भारी ये बस्ता करता चूर

इससे मुझको दर्द हैं होता

पढ़ते-पढ़ते बचपन खोता

माँ मुझको हैं तुझसे पढ़ना

खेल-खेल में ज्ञान सीखना

स्कूल से मेरा नाम कटा दो

भारी बस्ते से पीछा छुड़ा दो

बातें ये सुनकर माँ मुस्काई

प्यार से उसको चपत लगाई

अगर इसे तुम समझे बोझ

बन जाओगे अनपढ़ ढोर ।।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०४ अप्रैल २०१८

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