गुरुवार, 19 अप्रैल 2018

सुर-२०१८-१०९ : #विश्व_यकृत_दिवस #करे_लीवर_के_प्रति_सजग




यकृत’ / ‘जिगर’ / ‘कलेजा’ जिस भी नाम से उसे पुकारे वो हमारे शरीर के लिये बेहद महत्वपूर्ण जिसके बिना हमारा जीवन संभव नहीं होता ये सिर्फ पाचन के लिये ही सहायक नहीं होता बल्कि, ऐसे बहुत सारे काम करता जो हमारी देह के समस्त तंत्रों के संचालन के लिये जरूरी होते तो ऐसे में इसके प्रति थोड़ी-सी भी लापरवाही हमारे लिये जानलेवा साबित हो सकती हैं और जिस तरह के प्रदूषित वातावरण व कृत्रिम सुख-सुविधाओं के बीच रहकर हम प्रकृति से दूर होते जा रहे वो भी हमारे लिये घातक तो ऐसे में अत्यंत जरूरी कि हम अपनी इस अनमोल देह और इसके समस्त अंगों के प्रति सचेत रहे

ताकि बढ़ती उम्र में जब इनकी कार्यक्षमता घटने लगे तब भी हमारी नियमित जीवनशैली व अच्छी आदतें इसे सुचारू रूप से सक्रिय रखे जिससे कि हम वृद्धावस्था में भी स्वस्थ रहते हुये उस समय को कष्ट से कराहते हुये या रोग से ग्रसित होकर बिताने की बजाय मुस्कुराते हुए गुज़ारे इसलिये ही तो आज के दिन १९ अप्रैल को हमारी बॉडी के अत्यंत महत्वपूर्ण अंग ‘लीवर’ को समर्पित किया गया हैं जिससे कि हम इसकी महत्ता को समझकर इसके प्रति सचेत रहे अन्यथा हमारी खान-पान संबंधी छोटी-छोटी लापरवाही व अनियमित और योगरहित दिनचर्या से अंततः हमें बेहद दर्दनाक शारीरिक व्याधियों में गुजरना पड़ता हैं

यूँ तो हमारे शरीर में सभी अंगों की अपनी आवश्यकता व अनिवार्यता होती लेकिन, फिर भी कुछ ऑर्गन ऐसे होते जिनके न होने या खराब होने से हमारी जिंदगी में उतना फर्क नहीं पड़ता याने कि वो हो या न हो हमारा जीवन चलता रहता लेकिन, कुछ ऐसे भी अवयव जिनका न होना मतलब हमारे अस्तित्व पर खतरे की तलवार लटकना जिनमें से ‘यकृत’ भी एक हैं जो शरीर में होने वाली बीमारियों संक्रमण से ही हमें नहीं बचाता बल्कि, शरीर में से विषैले पदार्थों को भी अलग करता, शरीर में ग्लूकोज की कमी होने पर उसका पुनर्निर्माण करता और स्वस्थ के सबसे बड़े दुश्मन कोलेस्ट्रोल के लेवल पर नियंत्रण रखता हैं ।     

यूँ तो ‘लीवर’ अपनी छोटी-मोटी बीमारियों का उपचार स्वयं ही कर लेता लेकिन, सामान्यतः देखा जाता हैं कि ‘यकृत’ में होने वाले किसी भी बड़े रोग का पता तब तक नहीं चलता जब तक कि वो क्षतिग्रस्त न हो जाये याने कि खतरे के निशान तक पहुंचने से पहले इसके कोई स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते तो ऐसे में इसका ध्यान रखना और भी जरूरी हो जाता हैं जिसके लिये कुछ बड़ी कवायद नहीं करना बस, अपने खान-पान में हरी सब्जी, ताजे फल, अखरोट, रेशेदार सब्जियां, मोटा अनाज, अदरक, नींबू, हल्दी जैसी चीजों को शामिल करने के अलावा नियमति व्यायाम या योग / प्राणायाम को शामिल करें और गलत आदतें न अपनाये नशे से दूर रहे व बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी दवा का सेवन न करें तथा ‘हेपेटाइटिस’ का टीका भी अवश्य लगवाये यही तो इस दिवस का उद्देश्य हैं... इसी संदेश के साथ सबको ‘विश्व यकृत दिवस की शुभकामनायें... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१९ अप्रैल २०१८

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