सोमवार, 9 अप्रैल 2018

सुर-२०१८-९९ : #हठ_एक_रूप_अनेक




'हठ' तेरे रूप अनेक
सब पर तेरा असर मगर एक
लेकर सहारा तेरा
चाहे अपनी बात मनवाना
तरह-तरह के जलवे सबके देख...

बचपन मे तू बन जाता
नन्हे-मुन्नों का 'बालहठ'
अड जायें जिस बात पर भी
फिर न माने कोई नटखट
बड़े-बड़ों को पड़े घुटने टेक

राज परिवार मे दिखाये
राजसी रंग बनकर 'राजहठ'
चाहे करो कितने जतन
आसान नहीं पूरा कर पाना
कि तेरे आगे हो जाते सब फेल

स्त्रियों मे जब तू आ जाये
बनकर 'त्रियाहठ' नाच नचाये
जिस चीज़ की हो फरमाइश
उसे पाकर ही चैन मनाये
तेरी ज़िद दिखाये नाना खेल

योगी भी तुझसे बच न पाये
'हठयोग' दिखा वरदान पाना चाहे
फिर तो इंद्रासन भी डोल जाये
इच्छित वर देने देवगण स्वयं आये
तू तो निकाल दे अच्छे-अच्छों का तेल

भले हो तेरे रूप-नाम कई
लेकिन सब नकारात्मकता लिये
अगर, करें जगहित मे जिद
तो बन सकता तू सकारात्मक
तब न कोई फिर तुझसे डरे
न ही तुझको नाम धरे ।।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०९ अप्रैल २०१८

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