१३ अप्रैल १९१९
जलियांवाला बाग़
बना
जघन्य हत्याकांड
का मूक प्रत्यक्षदर्शी
जिसकी दीवारों
पर बने निशान
असंख्य गोलियों
के कह रहे आज भी
उस क्रूरतम
अपराध की कहानी
जहाँ बीस हजार
से अधिक निर्दोष और मासूम
जन्मे, अजन्मे,
बच्चे, युवा, वृद्ध सभी
बने निर्मम हत्यारे
के शिकार
तड़फ-तड़फकर मरे
आज़ादी के परवाने
जलकर नफ़रत की
अग्नि तले
समा गये मौत की
आगोश में वो लोग
सोचा न था
जिन्होंने कभी
यूँ एक पल में
खत्म हो जायेगी जिंदगी
स्वप्न लिये सुनहरे
कल के अपनी आँखों में वे
हुये एकत्रित बैसाखी
का पर्व मनाने
बनकर काल आया वहां
क्रूर ‘जनरल डायर’
भून दिया गोलियों
से उन सबको
मगर, न मार सके
देशप्रेम के जज्बे को
जिसने बनाये
नये क्रांतिकारी कई
अंग्रेज सरकार
को ये भयंकर भूल भारी पड़ी
जो स्वाधीनता संग्राम
की चिंगारी बनी
आज हुये साल
निन्यानवें पूरे
देते बलिदानियों
को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि
भूले न हम कभी निरपराधों
की दर्दनाक कहानी ॥
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
१३ अप्रैल २०१८
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