शनिवार, 28 अप्रैल 2018

सुर-२०१८-११८ : #भगवान_नृसिंह_आये_आज #भक्तों_का_अपने_किया_उद्धार




वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को राक्षसराज ‘हिरण्यकश्यप’ के अहंकार और अत्याचार की पराकाष्ठा हो गयी ऐसे में दुष्ट का संहार कर अपने भक्तों का उद्धार करने के लिये आधे नर और आधे सिंह बनकर ‘भगवन नृसिंह’ खंबे से प्रकट हुये और उसके बाद उस पापी को जिसे ये भरम था कि उसकी मृत्यु नहीं हो सकती उसे उसके महल में ही इस तरह से समाप्त किया कि एक बार पुनः ये साबित हो गया यदि भक्ति में शक्ति हैं तो उसकी पुकार अनसुनी नहीं रह सकती केवल मन में मिलन की तीव्र कामना होना जरूरी हैं

जब-जब दुष्ट अपने अहंकार के नशे में ये भूल जाता कि उसका सर्वनाश नहीं हो सकता तब-तब उसकी उस गलतफहमी को दूर करने के लिये किसी न किसी परम शक्ति को मानवीय रूप धारण कर आना पड़ता जिससे कि भक्तों की श्रद्धा भी कायम रहे और आस्था की डोर भी न टूटे और आने वाली पीढियों को भी ये ज्ञात रहे कि कोई न कोई अदृश्य शक्ति होती जो सदैव उसके साथ रहती और उसकी रक्षा करती हैं

ऐसे ही प्रबल विश्वास की गाथा हैं भक्त प्रह्लाद और उसके आराध्य प्रभु नृसिंह देव की जिसे सुनकर मन प्रेम की तरंगों से भर उठता और उन्होंने जो वादा किया कि जब भी कोई भले ही वह किसी भी जाति या धर्म का हो उनको भाव विह्वल होकर पुकारेगा वे उसकी उस करुण पुकार को सुनकर तुरंत दौड़े चले आयेंगे प्रतिवर्ष नृसिंह जयंती उसकी याद दिलाती... सबको नृसिंह जयंती की मंगलमयी शुभकामनायें... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२८ अप्रैल २०१८

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