शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

सुर-२०१८-९६ : #चुरा_लिया_जिसने_देवदास_का_चैन #पारो_का_वो_सटीक_चित्रण_सुचित्रा_सेन




जिस तरह अभिनय सम्राट त्रासदी चित्रण के महान अभिनेता ‘दिलीप कुमार’ जैसा ‘देवदास’ को जीवंत कोई नहीं कर पाया उसी तरह से ‘पार्वती’ उर्फ़ ‘पारो’ को हूबहू रजत परदे पर ‘सुचित्रा सेन’ के समान कोई भी आज तक प्रस्तुत नहीं कर पाया कि भावनाओं के कुशल चितेरे ‘विमल मित्र’ जैसा निर्देशन भी तो किसी से संभव नहीं हो पाया जब ऐसी अनुपम अद्वितीय प्रतिभायें एक साथ एकत्रित होती तो चमत्कार घटित होता जो हुआ और आज तक कोई भी दूसरा निर्देशक तमाम तकनीकों व भव्यतम सेट्स के बावजूद भी वैसा प्रभाव उत्पन्न नहीं कर पाया क्योंकि, कुछ लोग दुनिया में कुछ विशेष काम करने के लिये ही आते जिसकी वजह से वो इतिहास रचते और अमर हो जाते तो जब तक हिंदी फ़िल्मी दुनिया में सिनेमा का जादू बरकरार रहेगा तब तक इनका नाम भी उतना ही असरकारक रहेगा

ऐसा इसलिये कि इन्होने अभिनय नहीं किया वरन उन काल्पनिक किरदारों को हक़ीकत में जिया हैं तो फिर किस तरह से उन्हें देखने वाले उस सम्मोहन से अछूते रहते तो सीधे मर्मस्थल पर जाकर उसके चरित्रों ने वार किया जो ‘पारो’ के माथे पर लगे दाग़ की तरह अमिट हो गया कि ‘देवदास’ के चाहने वालों ने भी उस दाग को हृदय से लगाकर रखा जब कभी मद्धम हुआ भी तो फिर से उसे गहरा कर लिया आख़िर, प्रथम प्रेम की उस निशानी को कोई भला मिटने किस तरह से देता वैसे भी जो प्यार ‘पारो’ ने ‘देव’ से किया वो ‘देव’ कभी ‘पारो’ से नहीं कर पाया अन्यथा ये प्रेम कहानी इस तरह से त्रासदीपूर्ण नहीं होती कि अपनी मुहब्बत को खोकर कोई अपने वजूद को यूँ तिनके की तरह लुटा दे वो भी अहसास तब हो जब पास आई अनमोल वस्तु अपने ही हाथों से दूर फेंक दे और जब उसकी अहमियत समझ आये तो बच्चे की तरह बिल्क-बिलखकर रोये

लेकिन, कभी तडफने या रोने से ‘इश्क़’ हासिल हुआ हैं क्या वो तो खुदा की नेमत जो एक बार ही मिलती फिर उसे गंवा दे या सहेज ले ये तो प्रेमी की फ़ितरत ही निर्धारित करती इस कशमकश को इसी तरह से अपने हाव-भाव से दर्शा पाना सिर्फ और सिर्फ ‘दिलीप’ और ‘सुचित्रा’ के ही वश की बात थी जिसमें ‘चंद्रमुखी’ बनी ‘वैजयंती माला’ और ‘चुन्नी बाबू’ बने ‘मोतीलाल’ की भी उतनी ही सक्षमता थी जिसने मिलकर उसे मुकम्मल और इस तरह से मिसाल बनाया कि यही अदाकार उन पात्रों की असली पहचान बन गये और अपने दीवानों के दिल पर अपना नाम छोड़ गये ख़ास बात ये कि इन सभी कलाकारों ने सिर्फ एक ही फिल्म से अपनी ऐसी छवि निर्मित नहीं की बल्कि इन्हें जब भी जो भी चरित्र निभाने को दिया गया इन्होने इतनी ही शिद्दत से उसे अभिनीत किया तभी तो उनके जन्मदिवस पर हमने उनको याद किया... हेप्पी बर्थ डे सुचित्रा सेन... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०६ अप्रैल २०१८

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