सोमवार, 24 जून 2019

सुर-2019-174 : #भारत_की_पहचान_ऐसी_नारी #जैसी_थी_गोंडवाना_की_दुर्गावती_रानी




इतिहास पढ़कर अहसास होता कि वर्तमान में देश की जो स्थिति या हालात है उसके लिये सर्वाधिक जिम्मेदार ‘मुगल’ है जिनके आने के बाद समाज में बुराइयों का भी आगमन हुआ और सबसे ज्यादा स्त्रियों की दशा पर प्रभाव पड़ा उनकी अंदर व बाहर की आज़ादी पूरी तरह छीन गयी और वे केवल घर की चारदीवारी तक सीमित हो गयी थी उसके बाद धीरे-धीरे सभी बुराइयां समय के साथ इस तरह से संपूर्ण समाज में व्याप्त हो गयी कि दोष हिन्दू समाज को दिया जाने लगा जबकि, अपने परिवार व औरतों की सुरक्षा की खातिर उन्होंने तत्कालीन व्यवस्था को बदलना उचित समझा जो एक लंबे कालखण्ड में प्रचलित होने के कारण इस तरह से सभ्यता का हिस्सा बन गयी कि उस पर पुनर्विचार करने या उसे पुनः पूर्वस्थिति में लाने किसी ने विचार नहीं किया जिसकी वजह से औरतों को अपने उस खोये हुये हक को प्राप्त करने आंदोलन करने पड़ रहे और गालियां पितृसत्ता के नाम जा रही है सही मायने में तो जिसका एकमात्र हकदार नारी शोषण का जिम्मेदार देश में बाहर से आकर कब्जा जमाने वाला क्रूर, हिंसक, निरंकुश, लोभी व तानाशाह मुगल साम्राज्य है ।

उसके पूर्व की जो नारियां व उनकी कहानियां सामने आती उनसे यही ज़ाहिर होता कि इस देश में स्त्रियों पर इस तरह से बंदिशें उस दौर में नहीं थी जितनी कि मुगल काल के बाद देखने में आती है यहां तक कि तब तो औरतें न केवल स्वतंत्र निर्णय लेने की कूवत रखती बल्कि, शिक्षा एवं अस्त्र-शस्त्र विद्या में भी पारंगत होती थी जिसका उदाहरण रानी दुर्गावती, रानी अवंति बाई, रानी अहिल्या बाई एवं रानी लक्ष्मी बाई है जो सिर्फ इसलिए नहीं सशक्त थी कि किसी राजघराने से ताल्लुकात रखती थी बल्कि, उस युग में ये सामान्य ही माना जाता था तभी तो वे पुरुषों की बराबरी से लड़ने की हिम्मत दिखा सकी अन्यथा जिसने सिर्फ रसोई का काम किया हो वे एकदम जंग के मैदान में जाकर शत्रुओं के छक्के नहीं छुड़ा सकता जबकि, उन्होंने तीन बार आसफ खान को बैरंग वापस भेजा वो भी शर्मिंदगी के साथ जिसे ये लगता था कि एक औरत पर काबू पाना आसान होगा पर जब आमना-सामना हुआ तो उसे ये स्वीकार करना पड़ा कि रानी दुर्गावती कोई आम महिला नहीं एक बहादुर यौद्धा है जिसे बिना छल-कपट या धोखे के पराजित करना नामुमकिन है ।

ये भी हिंदुओं के साथ एक विडम्बना रही कि वे जरूरत पड़ने पर अपनी ही कौम का साथ देने की बजाय दुश्मन के साथ मिलकर गद्दारी करते और ऐसा आपको हर एक जाबांज की वीर गाथा में पढ़ने को मिलेगा कि बिना धोखे के उनको मारना तो दूर हराना भी असम्भव था मगर, हमारे अपनों ने ही हमें हमेशा छला जिसका खामियाजा हम आज तक भुगत रहे कि मुगलों ने जो देश को बर्बाद करने का बीड़ा उठाया तो आज तक उसी काम में लगे हुये है बस, मौके की तलाश है उन्हें यकीन है कि उनकी इस साज़िश में इस बार भी चंद कपटी हिन्दू ही उसका साथ देंगे क्योंकि, ये अपने इतिहास या धर्म से कुछ नहीं सीखते और मानवता के नाम पर इन्हें आसानी से बरगलाया जा सकता है जैसा कि अभी भी देखने में आता कि किसी प्रकरण में यदि हिन्दू केवल शक के दायरे में भी हुआ तो सबसे ज्यादा हिन्दू ही उसके खिलाफ बोलेगा पर, उसके विपरीत होने पर बोलने पर तमाम मानवतावादियों व रुदालियों का सियापा चालू हो जायेगा ये सब एकजुटता का अभाव दर्शाते जो मुगल काल से ही देखने में आ रही है ।

रानी दुर्गावती जो दुर्गाष्टमी के परम पावन दिन जन्मने के कारण इस नाम की अधिकारिणी बनी अपने ही दल के एक सरदार के द्वारा किये गये छलावे की वजह से मृत्यु को प्राप्त हुई अन्यथा उन्होंने तो उस कायर आसफ खान को दो बार बुरी तरह हराकर लज्जित किया था परंतु, मुगलों की एक खासियत या घटियापंती जो भी कह ले उनके लहू में ही बेईमानी समाई वे सत्रह बार माफ किये जाने पर अठारहवीं बार हमला करेंगे पर, जब उनका दांव लगेगा तो माफी तो छोड़िए वे आपको एक पल की मोहलत न देने और इस तरह से तड़फा-तड़फाकर मारेंगे कि रूह भी कांप जायेंगे ये उनकी फितरत जो उनके डी. एन.ए. समाई जिससे विलग कर के उन्हें देख पाना मूर्खता ही कहलाएगी जो आपको फिर उनके झूठे गंगा-जमुनी तहजीब के जाल में फंसा देगी जिसमें सारी रवायतें एकतरफा जो सिर्फ आपको माननी उनसे कोई अपेक्षा करना कुफ्र है ।

रानी दुर्गावती साक्षात रणचण्डी का अवतार थी और युद्ध में जिस तरह का शौर्य व पराक्रम उन्होंने दिखाया वो समस्त स्त्री जाति के लिये गौरव का विषय है और अंत समय में भी जब उन्हें लगा कि अब इन नीच शत्रुओं से लम्बे समय तक लड़ पाना क्षमता से बाहर तो जीवित उनके हाथ पड़ने की बजाय बड़ी वीरता से उन्होंने अपने ही हाथों अपने सीने में कटार घोंप ली शुक्र है कि उस समय यदि स्वरा भास्कर जैसी मानसिकता वाली औरतों की खेप नहीं जन्मी जिनके लिए जीवन का विकल्प सेक्स स्लेव बनकर जिये जाने पर भी बेहतर है ।

नमन है देश की ऐसी वीर नारियों को जिन्हें देश की शान व अपनी आन प्यारी थी... जय हिन्द... !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जून २४, २०१९

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