शनिवार, 8 जून 2019

सुर-२०१९-१५८ : #पुरुष_का_शरीर_हो_जाना #स्त्री_का_जीते_जी_मर_जाना



स्त्री का चेहरा भी
बिल्कुल पुरुषों की ही भांति
उसकी गर्दन पर होता
फिर भी न जाने क्यों ???
हर आदमी उसे
सीने में ढूंढता दिखाई देता
चंद पलों की खातिर
बनकर हवसी, दरिंदा, कामुक  
जीवन भर की सज़ा
किसी मासूम-बेकुसूर को देता
कोख से लेकर जन्म
फिर उसी को बदनाम करता
दिखाकर ख्वाब झूठे
पहनाकर वादों की जंजीर
शिकंजे में कस लेता  
विश्वास किसी का छलता
फिर भी नजरों में वो दूसरों की
भला ही बना रहता 
इलज़ाम बेवफाई का अपनी
औरत के सर मढ़ता
आदमी कहने को रक्षक मगर,
स्वार्थ की खातिर अक्सर,
अँधेरी रातों में बनकर भक्षक  
रिश्तों को ही लुटता
बन जाता जब मात्र शरीर तब   
किसी को नहीं छोड़ता
कामी ‘पुरुष’ ऐसा ही होता ।।

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जून ०८, २०१९

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