शुक्रवार, 7 जून 2019

सुर-२०१९-१५७ : #धर्म_ही_एकमात्र_पहचान #अपराधी_हिन्दू_तो_करें_अपमान #अगर_मुसलमान_तो_दे_पूरा_सम्मान



ये देश पता नहीं किस राह पर जा रहा जहाँ मजहब मानवीयता से उपर हो चुका है चाहे कोई मसला हो यदि उसमें किसी भी एंगल से कोई धर्म जुड़ जाता है तो फिर उसे राजनैतिक रंग देकर इस तरह से नया मोड़ दे दिया जाता कि न केवल मामले की गम्भीरता कम हो जाती बल्कि, अपराधियों के हौंसले भी बढ़ जाते क्योंकि, तब उनके रिलिजन से जुड़े लोग उनके सपोर्ट में खड़े हो जाते और ये पहली बार नहीं हुआ इसके पूर्व भी हम देख चुके कि ‘अख़लाक़’ की मौत हो या मोब लीचिंग की कोई भी घटना उसे जिस तरह से प्रस्तुत किया गया उससे ये लगने लगा कि इस देश में जाति विशेष के लोग सुरक्षित नहीं है और यही उनका एजेंडा था पर, इसे स्थापित कर पाने में वो सफल न हुये कि लोगों में अब इतनी जागरूकता आ चुकी कि वो अवार्ड वापसी या देश छोड़ने की धमकी या संविधान खतरे में जैसी बात को पीछे छिपी षड्यंत्रकारी मंशा को बेतर तरीके से समझता तो अब इसका विरोध करता और अब वो ये भी जान गया है कि बात जब किसी ख़ास समुदाय से जुडी हो तो उसके प्रति सहानुभूति की लहर पैदा करने और उनको अल्पसंख्यक बताकर उन पर अत्याचार करने जैसी कहानियों के माध्यम से ये जताया जाता कि देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की कोशिश की जा रही इसलिये अब उनको निशाना बनाया जा रहा है

आश्चर्य की बात कि यही अगर विपरीत हो अर्थात गलती से हिन्दू अपराधी हो या केवल शक के दायरे में हो उस पर यदि वो ‘ब्रम्हाण’ भी हो तो समझ लीजिये कि उसके लिये न्याय की गुहार लगाने वालों को ही ट्रोल किया जायेगा उनके धर्म को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जायेगी यहाँ तक कि लिखने वालों का बस चले तो वे अपनी कलम से ही उसकी हत्या कर दे बल्कि, वे तो अपने घटिया शब्दों से उसकी मान-मर्यादा उसके धर्म की धज्जियां उड़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ते तब किसी को ख्याल नहीं आता कि अपराध उस व्यक्ति ने किया उसके धर्म ने नहीं या कोई धर्म किसी को ऐसा करने की शिक्षा नहीं देता उस वक़्त तो बकायदा पोस्टर्स / बैनर / मैसेज छापकर इस बात को प्रचारित किया जायेगा कि हिन्दू होना शर्म की बात है और हिन्दू के देवी स्थल तो दुष्कर्मों के स्थान है ऐसे में किसी की न तो कलम और न ही जुबान लड़खड़ायेगी बल्कि, वे तो सामूहिक रूप से इस बात का इतना प्रचार-प्रसार करेंगे कि बेचारा हिन्दू खुद को शर्मिंदा महसूस करे और ये सब कोई मनगढ़ंत बात नहीं कठुआ काण्ड में हमने ये सब झेला और देखा जब आरोपियों की जगह हिन्दू धर्म व् उनके धार्मिक स्थानों को एजेंडे के तहत निशाना बनाया गया गंदे-गंदे चित्र व कार्टून्स बनाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया तभी ये साबित हो गया था कि आगे से अब इस तरह के मामलों पर यही तरीका अपनाया जायेगा जो कि इनका टारगेट व एजेंडा है

यही हुआ जब किसी हिन्दू की हत्या हुई तो उसके लिये मोब लीचिंग शब्द का प्रयोग तो दूर उसे तो सामने ही नहीं आने दिया गया और अब ताजा मामला अलीगढ़ की नन्ही बच्ची का है जो महज़ ढाई साल की थी और जिसे मारने वाला मासूम दरिंदा जाहिद और असलम के पक्ष में दलील देने वालों ने इतना बढ़िया तरीका निकाला कि उन्होंने इसे बीजेपी आई टी सेल का दुष्प्रचार बता दिया क्यों ??? क्योंकि, भई बच्ची का न तो रेप हुआ और न ही उस पर तेजाब डाला गया सिर्फ अंग-भंग ही कर के कचरे के डिब्बे में फेंक दिया बाकी जो किया वो कुत्तों ने किया तो उन पर इलज़ाम लगाये न कि इन निर्दोषों को कटघरे में खड़ा करें और सबसे बड़ी बात की इसकी आड़ में मजहब पर कोई ऊँगली न उठाई जाये और न ही नफरत की राजनीती की जाये क्योंकि इसका सर्वाधिकार तो भैया वामियों-कांगियों, लिबरल्स, सेकुलर, बुद्धिजीवियों के पास सुरक्षित और आप ठहरे हिन्दू जो अपने बहुसंख्यक होने का फायदा उठाकर बेचारे अल्पसंख्यकों को सताते रहते हो इसलिये उनको बचाने का ठेका इन तथाकथित मानवाधिकारों व भाड़े की रुदालियों ने लिया हुआ है सोनम के आहुजा का ताजा-तरीन ट्वीट जो उन्होंने आज ही किया कुछ यही कहता क्योंकि, कठुआ कांड के समय इनकी भाषा व् मायने एकदम अलग थे और ये कोई पहली बार नहीं है और इन जैसे लोगों के इसी दोगलेपन से तंग आकर ही लोग उनकी तरह ही सेलेक्टिव होते जा रहे है यदि सामने वाला आने मजहब के प्रति कट्टर तो फिर प्रतिपक्ष क्यों न हो क्यों उसे ही दबाया जाता है क्यों उससे ही त्याग, समर्पण व सहिष्णुता की मांग की जाती जिसका फायदा उठाकर अगला फैलता ही जा रहा जिसे रोकने ये जरूरी है                    

बचपन में हम सबने ‘हार की जीत’ कहानी पढ़ी जिसमें बाबा भारती ने डाकू खड़गसिंह से कहा था, "लोगों को यदि इस घटना का पता चला तो वे दीन-दुखियों पर विश्वास न करेंगे" बहुत याद आ रही क्योंकि, बाबा भारती डाकु के धोखे में आकर उसकी मदद कर देते पर, जब उसकी असलियत जानते तो यही कहते और ऐसा ही धोखे का काम किया ‘जाहिद’ ने जिसने बच्ची के पिता कुछ रूपये उधार लिये और मांगे जाने पर कुछ तो दिये बाकी नहीं और जब उनके लिये इसरार किया गया तो रमजान के पवित्र महीने में एक पाक मुसलमान ने उनकी अबोध बच्ची को अगवा कर उसकी ऐसी वीभत्स हत्या की कि जानवर या दरिंदा भी ऐसा नहीं करता इस तरह उसने विश्वास की भी हत्या की जिसके कारण बच्ची के पिता ने उसकी मदद की थी और शायद, अब कोई किसी की सहायता न करें फिर भी पूरे मामले में यही साबित करने का प्रयास किया जा रहा कि सम्भल के रहे भाजपा अफवाह फैला रही उसके साथ रेप नहीं हुआ इसलिये उनकी जान बख्शी जाये और उनके मजहब के विषय में कोई भी नफरत भरी बात न की जाये उफ़, इतनी मासूमियत से ये लोग लिखते कि जी करता कभी ये भी इस अहसास से जरुर गुजरे तब शायद, वे इस पीड़ा को समझे जिसे उन पीड़ित लोगों ने भोगा है  
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जून ०८, २०१९

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