ज्यूँ रात के
आग़ोश में
रोज सो जाता
दिन थककर
शाम ढ़ले भूल हर
फ़िक्र
फिर अगले दिन
आने के लिये
ऐसे ही माँ
छिपी लेती
आँचल में अपने
लाल को
उतार नजरों से
हर अला-बला
फूंककर ममता का
मंत्र
कर देती उसे
बेफिक्र
कि ख्वाबों में
भी न डरे वो
और सुबह निश्छल
मुस्कुराहट से
बना दे उसका
शुभ दिन ।।
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© ® सुश्री इंदु
सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
जून ०१, २०१९
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