मंगलवार, 25 जून 2019

सुर-२०१९-१७५ : #इक_पाती #मेघ_को_पुकारती




ओ मानसून,

तेरे बिना...
नदी, तलाब, पनघट
पेड़-पौधे, पशु-पंछी सब
राह निहार रहे होकर बैचेन
काले मेघ तो आ रहे
बरसे बिन मगर, जा रहे
उमस ही बढ़ा रहे
धरती को भी जला रहे  
होने लगे सब बड़े व्याकुल
कहाँ हो तुम ?
.....
तरसते नयन
आसमान को ताकते
आंसू भी अब न रहे शेष  
सूख गये सारे
तेरी एक बूंद के प्यासे
सुनो, कर रहे करुण पुकार
टूट न जाये उनकी आस
बुलाते तुझे हे मेघ   
होकर सब बड़े आतुर
कहाँ हो तुम ??
.....
ढूंढ रहे
इधर-उधर, चारों तरफ
एक तुझे ही हम
जाने किधर हो गये गुम
आ जाओ बरसो झमाझम
कर दो हर कण नम
तुम्हें वसुंधरा की कसम  
देखो जरा नीचे
बैठे सब बड़े गुमसुम
कहाँ हो तुम ???
..... ●●●●●

#Mansoon_Please_Come_Soon

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जून २५, २०१९

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