गुरुवार, 27 जून 2019

सुर-२०१९-१७७ : #न_कैंडल_मार्च_न_ज्ञापन #अब_रेप_का_करना_होगा_समापन



मर्दों की मर्दानगी जिस तरह से पीढ़ी-दर-पीढ़ी गिरती जा रही हार्मोन्स का लेवल भी उतनी ही गति से उफान पर जा रहा और नैतिकता वो तो हर जगह लगभग डायनासोर की तरह विलुप्त होती नजर आ रही जिसकी वजह से कामुकता से भरी अंधी आँखें अपनी काम पिपासा की तृप्ति हेतु एक सुराख़ की तलाश में इस कद्र मानव से दानव बनता जा रही कि न तो उसे दुधमुंही बच्ची नजर आ रही और न ही उम्रदराज बूढी देह और न ही जानवर उसे तो हर हाल में उस उत्तेजना को शांत करना जो एकाएक ही शराब के नशे या किसी कामुक विचार या किसी अश्लील तस्वीर से उसके शरीर में उभर आती जिसके बाद न तो उसे कोई रिश्ता याद रहता और न ही शरीर के बीच का फर्क समझ आता उसका तो एकमात्र लक्ष्य अपनी हवस की पूर्ति होता जिसे वो किसी भी तरह से हासिल कर लेना चाहता है उसकी इस नीचता ने उसे इतना अधिक पाशविक बना दिया कि वो नन्ही किलकारियों में सिसकारियां तलाशने लगा और जब से नन्ही मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार की खबरें आई मानो वासना के लिये भटकते इन पशुओं को अपनी उस उत्तेजना को मिटाने का आसान टारगेट मिल गया हो फिर तो एक के बाद एक ऐसी ही घटनाओं की खबरें देश के कोने-कोने से आने लगी लोगों के इतने विरोध, आपत्तियां दर्ज करने व कड़ा कानून बनने के बाद भी इसमें कमी की बजाय बढ़ोतरी ही नजर आई और ये महामारी की तरह उन जगहों तक भी फ़ैल गयी जहाँ लोगों को ये गुमान था कि हमारा नगर तो इस गंदगी से बचा हुआ है यहाँ ऐसे राक्षसों का वास नहीं 25 जून की सुबह मगर, ये भ्रम भी टूट गया जब खबर आई कि नृसिंह भगवान् की पावन नगरी में भी वासना के ऐसे भूखे भेडियें रहते जो नन्ही-नन्ही मासूम बच्चियों में कामुकता ढूंढ लेते है

24 जून, सोमवार की रात ऐसे ही एक राक्षस ने डेरे में रहने वाले खानाबदोश परिवार की पांच वर्षीय बच्ची को सोते से उठाया और गोद में लेकर सुनसान जगह में जाकर उसके साथ दुष्कर्म कर उसे घायल अवस्था में झाड़ियों में फेंककर चला गया मंगलवार को कुछ लोगों ने बेहोश बच्ची को देखकर उसकी सूचना दी तब पुलिस सक्रिय हुई और सी.सी.टी.वी. कैमरे में दर्ज उस दानव की अस्पष्ट आकृति नजर आई तफ्तीश में ये भी पता चला कि रात को करीब दो बजकर 45 मिनट पर उसने बच्ची को उठाया और 3 बजे के लगभग उसके माता-पिता अपनी बेटी को लापता पाकर पास के पुलिस स्टेशन पर गये मगर, ड्यूटी में तैनात आरक्षक ने उनकी बात को गम्भीरता से नहीं लिया अन्यथा ये हादसा टाला भी जा सकता था जाँच के पश्चात् तत्काल उस प्रधान आरक्षक को निलंबित कर दिया गया उसके बाद भी इस वारदात में अनेक लूप होल्स नजर आते जो लचर प्रशासन की पोल खोलते कि सरकार ने जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे तो लगवा दिये लेकिन, उन पर नजर रखना भूल गयी दूसरी बात की वो राक्षस लम्बी दुरी पार कर के उसे गोद में उठाकर लेकर गया पर, उतनी रात में कोई गश्त पर नहीं था और सीसीटीवी कैमरे में एक मोटर साइकिल भी जाती दिखाई दे रही लेकिन, उसने गाड़ी चालक ने भी इस सामान्य समझ नजर अंदाज कर दिया शायद, या फिर वही मानसिकता की दूसरों के पचड़े में कौन पड़े तो निकल चलो यहाँ से इसके अलावा पुलिस की लापरवाही तो है ही जो यदि शिकायत पर तुरंत कदम उठाये तो ऐसी अनेक घटनाओं को घटित होने से रोका जा सकता है जितना सरकार या कानून दोषी उतने हम भी है जो हर घटना के बाद कैंडल मार्च या ज्ञापन सौंपकर घरों में चुपचाप बैठ जाते या अपने कामों में लग जाते और इसे सरकार का जिम्मेदारी समझ अपना दामन झाड़ लेते जबकि, हम सब भी यदि सतर्क-सजग रहे तो कुछ अपराधों को तो रोक ही सकते है हमारे समाज के बेरोजगार युवा या सेवानिवृत नागरिक अपने नगर की चौकसी की स्वतः संज्ञान से जवाबदारी ले और खुद घुम-घुमकर सुनसान इलाकों पर नजर डाल और कोई संदिग्ध दिखे तो उसकी शिकायत दर्ज करवाये जो नामुमकिन तो नहीं है

घटना के बाद उसकी गम्भीरता को देखते हुये पुलिस ने 48 घंटो के भीतर आज दोपहर उस दुराचारी को पकड़ लिया और जब उसकी शिनाख्त हुई तो पता चला कि वो तो सशस्त्र पुलिस बल में रसोइया था बोले तो एक बार फिर साबित हुआ कि रक्षक ही भक्षक है दूसरा कि वो शादीशुदा भी है उसके दो बच्चे भी है और उसने शराब के नशे में इस घृणित काम को अंजाम दिया जो दर्शाता कि नौकरी या शादी भी उसके जीवन में संतुष्टि न ला सकी तो शराब का सहारा लिया और उसके बाद भी मन न भरा तो बच्ची के साथ दुष्कर्म किया यूँ तो हम जानते कि व्यक्ति की कामनाओं का कोई अंत नहीं लेकिन, अब वो कामांध बनकर इंसानियत को ही लजाने लगा है ऐसे में इसको ऐसा दंड दिया जाये कि बलात्कारियों में भय व्याप्त हो जो कि इनके साथ भी उतनी ही दरिंदगी करने से सम्भव शायद, तब वे उस पीड़ा को महसूस कर पाये जो वे नादान बच्चियां सहन करती होंगी कितनी तो बेचारी बेमौत ही मर जाती है इतनी खबरों को सुनने के बाद भी यदि अपराधियों की हिम्मत बढ़ रही तो इसका यही मतलब कि उनके भीतर सरकार, प्रशासन व् कानून को लेकर कोई डर नहीं और उसके भीतर नैतिकता का अंश मात्र भी शेष नहीं जो उसे ऐसा करने से रोक सके अन्यथा एक बालिका को देखकर जहाँ वात्सल्यता का भाव उभरना चाहिये वहां कामुकता पैदा हो रही है जिसकी एक वजह मोबाइल, सिनेमा और केबल टी.वी. भी है भले कोई माने या न माने पर, कहीं न कहीं ये सब माध्यम आदमी के भीतर उत्तेजना जगा रहे जिसका खामियाजा ये निर्दोष भुगत रही है अतः अब सरकार को चाहिये कि नशा ही नहीं इन सब पर भी प्रतिबन्ध लगाये जो बलात्कार को काफी हद तक कम करेगा क्योंकि, जिनका खुद के आवेगों पर कोई नियन्त्रण नहीं कम से उनकी मानसिकता पर सरकार ही लगाम लगाने का काम करें और इसमें उत्प्रेरक का काम करने वाले नशीले पदार्थों को भी राजस्व का लोभ छोड़कर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करें अब भी यदि बलात्कार के समस्त कारणों पर शिकंजा न कसा गया तो इसे रोकना असम्भव होगा कि ये भोगवादी प्रवृति व विलासिता धीरे-धीरे बढ़ती ही जायेगी हम अब भी शायद, कल्कि अवतार का इंतजार कर रहे कि वही आकर सब ठीक करेंगे तो फिर हमारा जीवन जो मूकदर्शक बनकर जी रहा व्यर्थ है लानत है इस पर जो घटना होने पर कोई ठोस कार्यवाही करने की जगह कैंडल जलाने या ज्ञापन देने की औपचरिकता का निर्वहन मात्र करना जानता है                     

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जून २७, २०१९

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