गुरुवार, 6 जून 2019

सुर-२०१९-१५६ : #मानवता_धर्म_अपनाओ #विश्व_बंधुत्व_का_भाव_बढ़ाओ




दुनिया में मानवता ही एकमात्र धर्म हो ये सब कहते पर, दिल से नहीं चाहते अन्यथा सार्वजनिक जीवन में अपनी वही पहचान बताते या उसके लिये कोई प्रयास तो करते मगर, ऐसा कुछ कभी नजर नहीं आया जब किसी ने इसे धर्म के रूप में अपनाया हो । भले,उसने कितने भी नेक काम किये हो या फिर मन से वो सभी इंसानों को एक ईश्वर की संतान समझ उनसे भाईचारे का व्यवहार करता हो फिर भी वो धर्म वही मानता जो उसने जन्म से पाया है । ऐसे में ये जरूरी कि जब मानवता या इंसानियत को हम समाज के लिये इतना आवश्यक समझते तो फिर उसे व्यवहार में क्यों नहीं उतारते है ।

व्यवहारिक रूप से मानवीयता के नाते किसी की मदद करने के बाद भी ये देखने में आता कि व्यक्ति धर्म के खाने में वही लिखता जो उसे विरासत में मिला है । ऐसे में जब ये पता चले कि अब किसी संस्थान में रिलीजन के अंतर्गत मानवता धर्म को भी जोड़ा गया है तो घोर जातिवादी इस दौर में ये खबर जख्मों पर मरहम या बोले तो गर्मी में तपते तन-मन पर पानी की ठंडी फुहार सी लगती है । ख्याल आता चलो किसी ने तो शुरुआत की ये पहला कदम उठा है इसके बाद अनेकों कदम इस दिशा में उठेंगे जो लोगों के भीतर से वैमनस्यता खत्म कर उन्हें मानवीय रिश्तों में बांधेंगे और आपस में बन्धुत्व की भावना पैदा करेंगे ।

वो जो जातीय या धार्मिक दम्भ से भरा होता उसके मनोमस्तिष्क में यदि मानवता का प्रकाश फैलेगा तो उसकी चकाचौंध से मानव निर्मित धर्म धूमिल होगा । तब शायद, उन राजनेताओं को भी समझ आयेगा कि जनता किसी विशेष मज़हब की वोट बैंक नहीं बल्कि, इंसान है । ये पूर्ण मानवीयता की सुरक्षा हेतु कार्य करेंगे न कि खुद के धर्म को सर्वश्रेष्ठ साबित करने कत्ले-आम करेंगे जो देश व समाज के लिये घातक जिसकी वजह से दुनिया में मार-काट मची हुई है । इन विपरीत हालातों में सुखद बयार जैसी ये खबर आई कि कलकत्ता जहां जय श्री राम कहने पर बवाल मचा उसी विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को धर्म वाले कॉलम में अन्य ऑप्शन के साथ ह्यूमानिटी / मानवता भी उपलब्ध होगा जो नये सत्र में अभी हाल ही में जोड़ा गया है ।

एशिया के सबसे पुराने महिला कॉलेज, बेथ्यून कॉलेज ने छात्रों के लिए मानवता’ (Humanity) को धर्म (Religion) के कॉलम में एक विकल्प के रूप में पेश किया है। ऑनलाइन प्रवेश फॉर्म में छात्रों के लिए अपने धर्म को चिह्नित करने के लिए कुल आठ विकल्प हैं। अन्य विकल्प हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और बाकी धर्म हैं। मानवता को धर्म के रूप में पेश करने का निर्णय कॉलेज की प्रवेश समिति के साथ परामर्श के बाद लिया गया है। यह निर्णय तब लिया गया जब कई डिग्री कोर्स के अभ्यर्थियों ने कालेजों में प्रवेश के लिए आवेदन के दौरान अपनी धार्मिक पहचान घोषित करने की जरूरत पर सवाल उठाये। प्रवेश प्रक्रिया में शामिल एक अधिकारी ने कहा, ''हमने पाया कि कई अभ्यर्थी उस खाने में स्वयं को नास्तिक घोषित कर रहे थे जिसमें उन्हें अपने धर्म का उल्लेख करना था बेथ्यून कॉलेज की प्रिंसिपल ममता रे ने कहा, “विकल्प मानवता को स्थापित धर्मों में विश्वास नहीं रखने वाले छात्रों के लिए रखा गया है, हालांकि कॉलेज यह नहीं मानता है कि मानवता और धर्म के बीच कोई अंतर है।

शिक्षा जगत ने सबसे पुराने संस्थान द्वारा उठाए गए कदम की बहुत सराहना की है प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अमल मुखोपाध्याय ने कहा, “एक शिक्षक के रूप में मुझे कॉलेज द्वारा लिए गए निर्णय पर गर्व है किसी भी उम्मीदवार की पहली पहचान यह है कि वो एक इंसान हैं और कॉलेज के शिक्षकों ने छात्रों को एक इंसान के रूप में अपनी पहचान जाहिर करने का अवसर दिया है” । इसके अतिरिक्त अन्य जिन कालेजों ने 'मानवता को एक विकल्प के तौर पर मुहैया कराया है उनमें मौलाना आजाद कालेज, राममोहन कालेज, बंगबासी मॉर्निंग कालेज, महाराज श्रीशचंद्र कालेज और मिदनापुर नगर का मिदनापुर कालेज शामिल है । इस विकल्प के ऐड होने से अब सोचना नहीं पड़ेगा कि हमे क्या चुनना है इसके बाद भी यदि व्यक्ति अपने ही धर्म को चुनता तो यही सिद्ध होगा कि उसकी बातें एकदम खोखली है वो केवल दिखावे के लिए बातें करता है पर, मानवता धर्म बने तो उसे इग्नोर करता है ।

मानवता से बढ़कर दूसरा धर्म नहीं ।
अपनाये सब इसको ऐसा गर्व नहीं ।।

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जून ०६, २०१९


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