गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

सुर-२०१७-४७ : "कवि और कविता में कितनी दूरी ???"

साथियों... नमस्कार...


अक्सर जेहन में ये सवाल उठता और फिर शुरू होती कवायद जवाब ढूंढने की तो अंतर से कई विचार भी उठते और इस तरह जनम हुआ एक कविता का जिसे नई दिल्ली और लखनऊ से एक साथ प्रकाशित होने वाले अख़बार 'ट्रू टाइम्स' में छपने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ तो आज वही कविता आप सबके समक्ष...

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कवि और कविता में
कितनी दूरी ???

जितनी कदम
और मंज़िल के दरम्यां
जब तक न उठे
कैसे खत्म होगा फ़ासला 

जितनी भाव
और अल्फाज़ के बीच में
जो उपज जाये देख 
किसी दृश्य को

जितनी कलम
और कोरे सफे के मध्य
जो कर दे अभिव्यक्त
हूबहू मन की बात

जितनी होती
प्यास और जल में
कि प्यासे को
जाना ही पड़ता कुएं के पास

वरना, 
बिखरी ही रह जाती
कदम दर कदम
कई अनदेखी कवितायें ।।

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वाकई कविता हमारे आस-पास सर्वत्र बिखरी पड़ी हम ही नहीं देख पाते और जो समझ गये तो पल में रच डालते... :) :) :) !!!
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© ® सुश्री इंदु सिंह “इन्दुश्री’ 
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१६ फरवरी २०१७

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