बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

सुर-२०१७-३२ : “ऋतुओं में बन बंसत... श्रीकृष्ण धरा पर आये...!!!”

साथियों... नमस्कार...


मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः

श्रीमद्भागवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अपने मुख से ये कहा हैं कि, ‘ऋतुओं में मैं वंसत हूँ’ वो मौसम जिसे कि सब ऋतुओं का राजा माना गया हैं तभी तो उसका आगमन हर मन को भाता सारी प्रकृति पर नया रंग छा जाता यूँ लगता मानो सारी कायनात ही फिर से नई हो गयी हैं और उसका ये नूतन बदलाव हमारे मन में भी हर्षोल्लास बनकर छा जाता क्योंकि वसुंधरा पर चारों तरफ बिछी सरसों की पीली चादर ऐसी लगती मानो धरा ने पीली चूनर ओढ़ ली हो और किसी नव-दुल्हन की तरह शरमा रही हो उसका ये मनमोहक रूप हर देखने वाले को अपना दिवाना बना लेता यहाँ तक कि बसंती बयार जब चलती तो उसके संग पेड़-पौधे ही नहीं हर एक मन पतंग बनकर आसमान में उड़ने लगता खुद को रुई-सा हल्का महसूसता अपनी हर दुःख-तकलीफ़ को भूल प्रकृति के इन नयनाभिराम दृश्यों में खो किसी दूसरी ही दुनिया में पहुँच जाता जहाँ उसके भीतर सोया कवि मन जागकर इस अनुभव को  सफहों पर उतारने लगता तो कला-साधक अपनी कला को निखारने में लग जाता याने कि हर कलाकार का हृदय इस रमणीक मनोरम वातावरण से प्रेरणा प्राप्त कर कोई नूतन सर्जन करता हैं इतना ऊर्जावान होता हैं बसंत का आगमन...

उस पर इस दिन माँ सरस्वती की जयंती का होना इसे और भी अधिक शुभ और मंगलकारी बनाता हैं कि हर कलाकार उन्हें अपनी आराध्या अपनी देवी मानता और इस दिन का बेसब्री से इंतजार करता और जब ये तिथि आती तो पीले वस्त्र धारण कर पूर्ण श्रद्धा भक्ति से उनका पूजन कर ये वरदान मांगता कि हे देवी तुम सबका कल्याण करो, इस जगत के सभी जीवधारियों को निर्मल बुद्धि प्रदान करो ताकि वो हर बुराई से बचते हुये अविचलित अविराम अच्छाई के मार्ग चलते हुये सफलता को प्राप्त करे... कामदेव के पुत्र ‘वसंत’ के जन्मोत्सव को ही ‘मदनोत्सव’ या ‘बसंतोत्सव’ कहा जाता और भगवन कृष्ण ने इसी दिन माँ शारदे की आराधना की जिससे वे प्रकट हुई तो इसलिये इसे सरस्वती पूजन कर भी मनाया जाता तो इस तरह ये एक दिन अनेकों प्रसंगों और कहानियों से जुड़ा जिनके स्मरण से इसकी महत्ता कई गुणा बढ़ जाती... तो सबको इस दिवस की कोटि-कोटि शुभकामनायें और ये मंगलकामना भी कि सब पर वीनापाणी अपनी क्रिया की बरसात करे जिससे वे अपना इच्छित वर प्राप्त करें... :) :) :) !!!               
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०१ फरवरी २०१७

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