साथियों... नमस्कार...
‘नित्या’ कमरे में प्रवेश कर ही रही थी कि उसने
माता-पिता को उसकी शादी को लेकर आपस में बात करते सुना तो वो वहीं बाहर रुककर उसे
सुनने लगी...
माँ – आप चाहे कुछ भी कहो पर, वो लड़का अपनी बेटी
के लायक नहीं मैं तो इस शादी के लिये राजी नहीं भले ही आपके डर से ‘नित्या’ शादी
कर ले लेकिन मैं जानती हूँ उसे वो पसंद नहीं
पिता – तो तुम्हीं बताओ अब क्या करे ? जिस
रफ़्तार से उसकी उमर बढ़ रही उसी रफ़्तार से लड़के कम होते जा रहे ऐसे में यदि अब भी न
की तो आगे न जाने कैसा रिश्ता मिले यहाँ कम से कम वो सरकारी नौकरी में तो हैं और
सच कहूँ तो अब मैं समाज को इससे ज्यादा फेस न कर पाऊँगा
माँ – हम्म, ये तो आप सच कह रहे ये तो मैं भी
महसूस कर रही इसलिये पिछले महीने अपने चाचा के बहु के भाई की शादी में नहीं गयी
सच्ची, दिन-ब-दिन समाज का सामना मुश्किल हो रहा
उधर ‘नित्या’ सोच में पड़ गयी कि शादी बेटी की
ख़ुशी के लिये की जाती या समाज लेकिन मध्यमवर्गीय परिवारों का सच शायद, यही वो...
खुद की नहीं दूसरों की परवाह करते और इस तरह अपनी जिंदगी तबाह कर देते लेकिन वो
ऐसा नहीं करेगी क्योंकि ये फ़ैसला उसके जीवन से जुड़ा तो भले कोई कुछ सोचे-समझे वो
बेमेल विवाह नहीं करेगी आखिर किसी को तो कदम उठाना ही पड़ेगा न... शादी उसकी हैं या
समाज की और इस सोच ने उसके निर्णय को पुख्ता कर दिया ।
_____________________________________________________
© ® सुश्री
इंदु सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१७ फरवरी २०१७
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें