गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017

सुर-२०१७-३३ : लघुकथा : ‘पवित्रता का ठिकाना’ !!!

साथियों... नमस्कार...

माँ... तू गलत कहती थी कि पवित्रता मन के अंदर आत्मा में निवास करती हैं...

यदि ये सच होता तो मेरे पति मुझे इसलिये नहीं ठुकराते कि कुछ गुंडों ने जबरन हमारे घर घुसकर उनके ही सामने मेरे साथ जबरदस्ती की थी तब वो मुझे बचा तो नहीं सके लेकिन अब मैं पवित्र नहीं रही ये कहकर मुझे ठुकरा जरुर दिया...
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०२ फरवरी २०१७

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