शनिवार, 4 फ़रवरी 2017

सुर-२०१७-३५ : ‘फेसबुक’ को हुये तेरह साल... जिससे हुये रिश्ते आबाद...!!!

साथियों... नमस्कार...


तकनीक को कोई कुछ भी कहे लेकिन इसके फायदे बहुत हैं कहाँ तो हम अपने अगल-बगल को जानते नहीं थे और अब ये हाल कि दूर-दराज बैठे बंदे से भी हमारा नाता बन गया क्योंकि दिल से दिल तक पहुँचने वाले जिस तार की हम सिर्फ बात करते इसके जरिये तो हमने उस तार को भी न सिर्फ देख लिया बल्कि किस तरह संवाद एक जगह से दूसरे जगह पहुँचते ये अब हम जान गये और हमने भी इसे हाथों-हाथ लिया कि वार्तालाप हमरे जीवन का अभिन्न अंग जिससे हमें जुदा कर पाना संभव नहीं इसलिये एक-दूसरे से बातचीत करने के हमें जितने भी माध्यम मुहैया कराये गये हमने सबका भरपूर इस्तेमाल किया और हमारी इस कमजोरी को भांपने वालों ने भी हमें इस तरह के तोहफों से नवाज दिया तभी तो आज इस तरह के अनगिनत एप्प और सभी पॉपुलर जिनको हम ‘सोशल मीडिया’ के नाम से भी जानते क्योंकि इन सबने हमारे सामजिक रिश्तों को निभाने का हमें एक तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म भी दिया...

जहाँ हम अपनों ही नहीं बल्कि परायों के भी संपर्क में रहकर उनके पल-पल का भी हाल जान सकते जिससे रिश्तों में नजदीकियां व मजबूती आई हैं कि ये हमें अधिक सुविधाजनक लगता जिसे हम अपनी व्यस्ततम जिंदगी में भी आसानी से कर पाते तभी तो अब हर हाथ में मोबाइल नजर आता और हर कोई इन माध्यमों का इस्तेमाल करता दिखाई देता यदि हम इसके नकारात्मक बिंदुओ को नजरअंदाज करें तो इसके सकारात्मक फायदे ही अधिक हैं केवल थोड़ी-सी समझदारी, थोड़ी जागरूकता और संयम की जरुरत फिर हम इससे पूरे लाभ ले सकते क्योंकि सभी सुरक्षा संबंधी विकल्प भी यहाँ मौजूद जिनकी जानकारी के अभाव में हम फंस जाते और इससे दूर रहने का प्रयास करते ऐसा कई लोगों से हमने सुना और उन्हें बताया कि ये सब अपने हाथ में हैं कि हम किस तरह से इस महासागर में रहते हुये भी शिकारियों के जाल और कांटे से बचे और सुरक्षित तरीके से इसे चलाये अन्यथा इससे मिलने वाले फायदों से वंचित ही रहेंगे...

४ फरवरी २००४ को ‘मार्क जुकरबर्ग’ ने अपने दोस्तों से सम्पर्क बनाने के लिये ही इसे इजाद किया जिसका नतीजा ये निकला कि यह चैटिंग के अलावा बहुत-से कामों में आने लगा और हम भारतीयों की तो खूबी कि हम हर चीज़ का उससे इतर भी उपयोग करते ताकि संभावनाओं के नये द्वार खोल सके तो यहाँ भी हमने अपनी अंतर की दबी अनकही को कहने की शुरुआत की जिसने न जाने कितने नये साहित्यकारों को जिन्हें कोई माध्यम नहीं मिल रहा था अपनी लेखनी को अभिव्यक्त करने व निखारने का सुनहरा मौका मिला तो साथ ही व्यापारियों को भी अपने व्यापार को चमकाने का एक नया क्षेत्र मिला और अख़बार वालों को अपने समाचार देने का एक कोना याने कि जिसके पास जो भी था उसने उसे यहाँ परोस दिया जिसे उसके चाहने वालों ने हाथो-हाथ लिया ऐसे में जब किसी शय के फायदे अधिक हो तब किन्ही भ्रामक बातों में आकर उससे दूरी बनाना ठीक नहीं बल्कि ऐसे लोगों को सामने लाये जो इसका दुरपयोग करते और हम भी इसका सही तरीके से इस्तेमाल करें ताकि ये आभासी कहलाये जाने वाला पटल हकीकत का आईना बन सके...
इस एक किताब ने तो किताब की परिभाषा ही बदल दी और जो लोफ किताबों से दूर रहते थे उन्होंने भी इसे न सिर्फ पढ़ा बल्कि अपनी किताबें भी लिखी याने कि चेहरों की किताब कहलाये जाने वाले इस सॉफ्टवेयर ने केवल चेहरों को ही नहीं समेटा बल्कि उनको पहचान भी दिलाई फिर ऐसे में आज इसका जन्मदिन न मनाना तो हम फेसबुकियों का स्वार्थीपना कहलायेगा कि जिस जगह से हमने इतना कुछ पाया उसे ही मुबारकबाद देना भूल गये तो आओ इसका जन्मदिन मनाये और मिलकर गाये... हेप्पी बर्थ डे फेसबुक... :) :) :) !!!                  
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०४ फरवरी २०१७

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