शनिवार, 12 मई 2018

सुर-२०१८-१३२ : #जो_भी_पेशा_चाहे_चुनो #अपना_संपूर्ण_उसको_दे_दो




‘नर्स’ या ‘परिचारिका’ को आज का दिन समर्पित करने का निर्णय लिये जाने का श्रेय जाता हैं ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल’ को जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन दुखी, पीड़ित, जख्मी, बेसहारा रोगियों के नाम कर दिया फिर उसके लिये न तो दिन देखा और न रात बस, हाथ में लिया एक चिराग फिर निकल पड़ी तलाशने तकलीफों से कराहते हुये मरीज को जिसकी असहनीय पीड़ा को सहनीय बना सके भले इसके लिये उन्हें कष्ट भी उठाना पड़ा लेकिन, जब ये ठान लिया कि उनके जीवन का उद्देश्य केवल पीड़ित मानवता की सेवा करना हैं तो फिर कितनी भी मुश्किलें या बाधा आये उनके मार्ग में उनको उसे बदलना नहीं बल्कि, उन मुश्किलों से लड़ते हुये उसी राह पर अनवरत आगे बढ़ते जाना हैं

उनकी इस अटूट लगन व ईमानदार काम ने उनको विश्व मानचित्र पर इस तरह से स्थापित किया कि उनके जन्मदिन को उनके पेशे की स्मृति में समस्त परिचारिकाओं को समर्पित कर दिया गया जिसका नतीजा कि आज १२ मई को हम ‘विश्व नर्स दिवस’ मना रहे जो दर्शाता कि हम जीवन में चाहे कोई भी व्यवसाय चुने या चाहे जो भी कार्य करे यदि उसको अपना शत-प्रतिशत दे दे तो फिर हम उसका पर्याय बन सकते जिस तरह से ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल’ ने अपने आपको अपने काम के लिये पूरी तरह से भूला दिया और अपनी निःस्वार्थ कर्तव्यपरायणता से ये साबित किया कि अपनी लगन से हम भी उनकी तरह किसी भी कार्यक्षेत्र में सर्वोच्च स्थान हासिल कर सकते हैं   

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१२ मई २०१८

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