मंगलवार, 1 मई 2018

सुर-२०१८-१२१ : #कौन_नहीं_मजदूर #मगर_सब_नहीं_मजबूर



मजदूर हो तुम भी
और मजदूर हैं हम भी
फिर भी हैं बड़ा अंतर
तुम्हारा काम शौकिया हैं
जिसे तुमने स्वयं ही चुना हैं
हमारा काम मजबूरी हैं
जिसने हमें चुना हैं
तुम्हें मिला साथ सबका
पढ़े-लिखे भी हो तुम
हम साथ सबके भी अकेले
पढ़े-लिखे तब जब खाने को मिले
तुम्हारे लिये खाना दोयम
पर, हमारे लिये प्रथम
तुम जब चाहो छुट्टी मना लो
हम जरूरत होने पर भी काम करते
तुम्हारे काम में आगे बढ़ने की गुंजाईश हैं
हमें पीछे खिंचती महंगाई हैं
तुम जहाँ चाहे घूमो-फिरो और ऐश करो
हमारे लिये ये सोचना भी गुनाह हैं
तुम मनाओ तीज-त्यौहार और जन्मदिन की खुशियाँ
यहाँ खबर नहीं कब दिन डूबा कब सुबह हुई
तुम्हारी जिंदगी के मालिक तुम खुद हो
जबकि, यहाँ साँसें भी गिरवी पड़ी हैं
आज तुम ख़ुशी-ख़ुशी मना रहे ‘मजदूर दिवस’
और हम अपनी परेशानियों संग कर रहे मजदूरी हैं    
न कहो खुद को तुम मजदूर साहब
तुम्हें नहीं पता क्या होता बेबस काम करना
सर्दी-धूप या किसी भी मौसम की परवाह न करना
ख़ुशी की बात नहीं मजबूरी हैं मजदूर होना
फिर भी इस नियति को हमने हंसकर स्वीकार किया
आपके जीवन में खुशियों का रंग भरा   

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०१ मई २०१८

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