गुरुवार, 17 मई 2018

सुर-२०१८-१३७ : #पूरी_दुनिया_बन_गयी_एक_परिवार #दूरसंचार_का_मिला_जब_हमको_साथ




किस्सा – ०१ : ‘रीना’ की नई-नई जॉब लगी थी और कंपनी की तरफ से उसे विदेश जाने का ऑफर मिला जबकि, वो रहने वाली थी एक छोटे-से गाँव की तो परिवार को चिंता होना लाज़िमी था क्योंकि, पढ़ाई या नौकरी के लिये बाहर रहने तक उनको कोई दिक्कत नहीं थी कि दूर ही सही अपने देश में तो थी पर, परिवार वालों की इस अनुमति को उसने कुछ ज्यादा ही हल्के में ले लिया और जब कंपनी ने उसे बाहर जाने का ऑफर दिया तो उसे तुरंत लपक लिया लेकिन, अपने परिवार वालों की परेशानी ने उसे चिंता में डाल दिया जिसका हल मिला उसे दूरसंचार में जिसके माध्यम से उसने अपने परिजनों को अपने साथ ‘मेसेंजर्स ग्रुप’ में ही नहीं ‘विडियो चैट’ करना भी सीखा दिया तो बस, जब उनका मन करता वो उसे कॉल कर के न केवल बात कर लेते बल्कि, उसे देख भी लेते जिससे उनकी मन की चिंता काफी हद तक कम हो जाती और दूरी का अहसास भी नहीं होता था

किस्सा – ०२ : ‘मिहिर’ को मॉडलिंग और फैशन इंडस्ट्री में बड़ा इंटरेस्ट था लेकिन, वो जिस शहर में रहता था वहां ये सुविधा नहीं थी कि, वो इसके बारे में अधिक जानकरी ले सकता लेकिन, ‘इंटरनेट’ ने उसकी इस समस्या का समाधान कर दिया और उसने उसके माध्यम से न केवल ऑनलाइन कोर्स किया बल्कि, अट्रेक्टिव पोर्टफोलियो भी डिजाईन करवा लिया जिसके जरिये मॉडलिंग के छोटे-मोटे ऑफर्स भी प्राप्त कर लिये तो उसकी इस छोटी-छोटी उपलब्धियों ने उसे एक दिन एक बड़े मॉडलिंग कांटेस्ट का हिस्सा बनाकर बड़ा प्लेटफार्म दिलवा दिया और इस तरह उसे अपनी मजिल मिल गयी ।

किस्सा- - ०३ : ‘शिल्पी’ बहुत अच्छी कविता व कहनियाँ लिखती थी लेकिन, समझ नहीं आ रहा था कि किस तरह उसे छपवाये और साहित्य की दुनिया में एक सितारे की तरह जगमगाये तो यूँ ही ‘सोशल मीडिया’ में लिखना शुरू किया जिसका नतीजा कि लोगों ने उसके लिखे को बेहद पसंद किया और फिर क्या वहीँ से उसे कई जगह अपनी कविताओं व कहानियों को छपवाने के लिये प्रकाशक भी मिल गये तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा कि आख़िरकार, घर बैठे-बैठे ही उसने वो मुकाम हासिल कर लिया जिसके बारे में वो सोचा करती थी और एक दिन वो भी आया जब उसे साहित्य का बड़ा सम्मान ही नहीं बल्कि, उस क्षेत्र में एक पहचान व नाम भी मिला तो बड़े-बड़े मंचों ने भी उसे आमंत्रित करना प्रारंभ कर दिया और इस तरह देश के एक कोने में रहने वाली गुमनाम लड़की आज सम्मानित लेखिका के रूप में जानी जाती थी जिसके लाखों फालोवर्स व प्रसंशक थे ।        

किस्सा – ०४ : ‘चिया’ की माँ हमेशा चिंतित रहती थी कि उनकी आठ बरस की बिटिया इतना अच्छा नाचती व गाती हैं लेकिन, फिर भी वो उसे किस तरह से देश व दुनिया के सामने लाये कि उसकी अद्भुत प्रतिभा से सब परिचित हो सके ऐसे में एक दिन उन्हें ‘यू-ट्यूब’ के बारे में पता चला तो उन्होंने उसके विडियो बनाकर उस पर पोस्ट कर दिया और फिर क्या देखते-देखते ही वो इतने वायरल हुये कि उसे फिल्म इंडस्ट्री तक से गाने के लिये प्रस्ताव मिला और उसके नृत्य ने उसे देश के बड़े डांस शो में विनर का ख़िताब दिलवाया तो ‘चिया’ ने भी अपने हुनर को निखारने के लिये बाहर जाने का निश्चय किया और इस तरह उसकी ईश्वर प्रदत्त प्रतिभा को वो दिशा मिली जिसकी वो हकदार थी

किस्सा – ०५ : ‘सोना’ बचपन से ही पढ़ाई में बेहद अच्छी थी लेकिन, इसके बावजूद भी उसकी बुद्धिमता का सही प्रयोग नहीं हो पा रहा था कि परिवार में कोई अधिक पढ़ा-लिखा नहीं था उस पर उसके पिता कृषक थे तो उनका रुझान गाँव व खेती में ही अधिक रहता उनके लिये तो इतना ही पर्याप्त था कि उनकी बेटी को अक्षर ज्ञान हो जाये ज्यादा अपेक्षायें नहीं थी ऐसे में ‘सोना’ को जब एग्जाम में टॉप करने पर वाई-फाई युक्त लैपटॉप और उसके साथ ही फॉरेन एजुकेशन के लिये एग्जामिनेशन का अवसर भी तो उसने उसे न गंवाते हुये उसका भरपूर उपयोग किया जिसने उसे विदेश की यूनिवर्सिटी में अपने देश का परचम लहराने का स्वर्णिम मौका दिया और इस तरह वो अपना अन्तरिक्ष वैज्ञानिक बनने का ख्वाब पूरा कर पाई जो उसने ‘कल्पना चावला’ की जीवनी पढ़ने के बाद देखना शुरू किया था

ये तो महज़ चंद काल्पनिक किस्से लेकिन, हकीकत में इससे ज्यादा चमत्कार दूरसंचार के द्वारा नित किये जा रहे जिसने अपनी सूक्ष्म तरंगों से संपूर्ण ब्रम्हांड को एक सूत्र में पिरो दिया और लोगों को इतने निकट ला दिया कि अब कोई भी दूरी महसूस नहीं होती और कल तक जो स्वपन था उसे इसने हकीकत में बदल दिया हैं कि तकनीक का साथ पाकर दूरसंचार के माध्यम भी तेजी से विकसित हो रहे और पारंपरिक पुरातन यंत्रों की जगह आधुनिकतम गेजेट्स से कम्युनिकेशन किया जा रहा जिसने असंभव को संभव बना दिया... अब तो आवाज़ सुनने के साथ-साथ व्यक्ति को देखना एक अलग ही सुकून देता उस पर इतनी सारी सुविधायें व् जानकारियां भी उपलब्ध कि कुछ स्वप्न नहीं रहा ‘विश्व दूरसंचार दिवस’ यही याद दिलाता कि दूरियां नजदीक बन गयी... मिला गजब तकनीक का साथ हैं... ☺ ☺ ☺ !!!             

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१७ मई २०१८

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