ये उस वक़्त का
सच था जब मैं उसे प्यार करती थी लेकिन, आज
नहीं करती तो इस पर क्या मुझे शर्मिंदा होना चाहिए?
मैं वो नहीं कह
रही पर, जब ये सब सोशल मीडिया पर लिखा अपने
प्यार का सरेआम ढिंढोरा पीटा फोटोज शेयर किए तब सोचना था यार, थोड़ी तो गुंजाइश रखनी थी भविष्य को सोचकर...
प्यार की यही
तो खासियत हैं गुंजन कि वो गुंजाइशों के साथ नहीं होता या तो होता हैं या नहीं
होता बीच वाली स्थिति केवल वहीं बनती जहां फायदे के हिसाब से निर्णय लिया जाता पर,
हमने प्रेम किया तो ये सब न सोचा जो उस समय
महसूस किया वहीं लिखा आज भले वो सच नहीं मगर, कल तो था और मैं अपने उन इमोशन या फीलिंग्स पर बिल्कुल भी शर्मिंदा
नहीं सहेलियां या रिश्तेदार मजाक उड़ाए तो उड़ाते रहे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मैँ
उसे उसी डेट के साथ देख रही तो वो मुझे गलत नहीं लग रहा तब मैं वही सोचती थी पर,
आज नहीं तो क्या करूँ?
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
०४ मई २०१८
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