मंगलवार, 22 मई 2018

सुर-२०१८-१४२ : #विश्व_जैव_विविधता_दिवस_का_संदेश #विविधताओं_में_सुरक्षित_हम_सबका_जीवन



समस्त भूमंडल एक विशाल आवासीय परिसर जिसमें समस्त जीवित प्राणी आपस में मिलकर रहे इसलिये सृष्टिकर्ता ने इस तरह से उनकी रचना की कि वे सब आपस में परस्पर एक-दूसरे से कड़ी के रूप में जुड़े रहे और इनका जीवन आपसी सामंजस्य व परस्पर व्यवहार से चलता रहे ताकि सब एक-दूसरे का महत्व समझे कोई किसी को मारने या नष्ट करने का प्रयास न करे लेकिन, इसे जानने के बाद भी मानव ने प्रकृति की उन सब अमूल्य सौगातों को बड़ी आसानी से मिटा दिया जो उसे अपने अनुकूल प्रतीत नहीं हुई

जिसका खामियाजा हम तरह-तरह के नकारात्मक प्राकृतिक परिवर्तनों से दिन-ब-दिन महसूस कर रहे फिर भी हमारी ढीढता देखो कि जब तक हमें लग रहा कि किसी जीव को मारकर हम जिंदा रह सकते तो अपने प्राणों को बचाने हम उसके प्राण लेने में एक पल भी न हिचकते जिसकी वजह से अनगिनत प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी और न जजाने कितनी समाप्ति की कगार पर खड़ी जिनको बचाने के प्रति हम सचेत हो इसलिये सयुंक्त राष्ट्र संघ ने २२ मई को ‘जैव विविधता दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया

जिससे कि हम हर एक जीव की उपयोगिता को समझे अन्यथा जिसे आज हम गैर-जरुरी या मामूली समझ रहे वही हमारी मौत की वजह बन सकते हैं क्योंकि, हर एक जीव चाहे वो नन्हा-सा एकदम सूक्ष्म हो या फिर चाहे विशालतम सबके अस्तित्व आपस में इस तरह से गुंथे हुये कि किसी के भी बिना अगले पर प्रभाव पड़ सकता वो तो हम ही हैं जो कुदरत के संकेतों को देखकर भी अनदेखा कर रहे जबकि पानी सर के उपर नहीं बल्कि, धरती के बहुत नीचे पहुँच गया और तापमान बढ़ते हुये असहनीय अवस्था में पहुँच गया

फिर भी हम हैं कि प्रकृति से दूर होकर कृत्रिम साधनों में मगन होकर इतने स्वार्थी हो गये कि अपने जीवन के सिवा किसी की फ़िक्र न कर रहे मगर, एक दिन आयेगा जब ये असंतुलन इस सृष्टि के विनाश की वजह बनेगा और तब हमारे पास कोई भी विकल्प शेष न रहेगा कि अपनी कब्र हम खुद ही तो रोज खोद रहे हैं यही नहीं अपनी आने वाली पीढियों के लिये भी आने के सभी मार्ग बंद कर रहे याने कि भोगने की प्रवृति इतनी अधिक बढ़ी हुई कि सब कुछ खुद ही उपयोग कर लेने चाहते चाहे फिर किसी के लिए बचे या नहीं पर, ये भूल रहे कि चाहे कुदरत का खजाना कितना भी भरा हो यदि उसे बढ़ाने या उसके सरंक्षण का प्रयास नहीं किया तो वो एक न एक दिन तो खत्म होगा ही फिर क्या ???                                      
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२२ मई २०१८

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