नशा करने के
लिये दुनिया में कम नहीं शय मगर, फिर भी लोग व्यसन के चक्कर में ही पड़ते और अपनी
ही नहीं साथ-साथ अपनों की जिंदगी में भी जहर घोलते जिसकी शुरुआत यूँ तो बहुत छोटी-छोटी
चीजों से होती मगर, पता तब चलता जब वो गंभीर अवस्था में आ जाती ऐसे में ये बेहद
जरुरी कि हम प्रारंभ से ही इस पर ध्यान दे जब हम इसकी लत के शिकार होते । फिर चाहे वो चाय हो या कोल्ड ड्रिंक या फिर बीयर या सिगरेट और
पान-मसाला जिसे अमूमन हम नशे वाले पदार्थों की सूची से बाहर रखते लेकिन, यदि गौर
करें तो पायेंगे कि यही तो नशे का वो हल्का-सा खुमार छुपा जो आरंभिक अवस्था में
अपने हल्केपन के कारण महसूस नहीं होता फिर जब ये अपना असरदायक नहीं रह जाता तब
इससे बड़े नशे की खोज की जाती और पता ही नहीं चलता कि एक छोटी-सी सिगरेट या एक
छोटे-से पैग या एक छोटे-से गुटखे ने जिन्न की तरह बाहर निकल विकराल रूप धारण कर क्या
कमाल कर दिया कि भारी-भरकम आदमी को धराशायी कर दिया ।
जिन्हें जब
हमने अपने होंठो से लगाया तो सोचा न था कि एक दिन ये अच्छा फील कराने वाला इतना
खतरनाक साबित होगा तब तो सिर्फ दोस्तों के कहने या फिर खुद को बड़ा साबित करने या
फिर अपने स्टेट्स को मेंटेन करने या अपने गम से उबरने या कभी कमजोर पलों में
दूसरों के उकसाने पर यूँ ही जताने कि हम भी कम नहीं एक कश लिया था या एक जाम पिया
था पर, कब वो जरूरत बन गया और कब उसने हमारे दिलों-दिमाग ही नहीं हमारे जिस्म को
अपने काबू में कर लिया पता ही नहीं चला । वो तो जब मुंह
से खून आया या फिर कोई दर्द सीने में हुआ या डॉक्टरी जाँच में कैंसर जैसी लाइलाज
बीमारी के होने की पुष्टि हुई तो नशा उडन छू हुआ और सर पकडकर बैठते हुये पूरी
फिल्म आँखों के समाने घुमने लगी जैसे कल ही की बात हो जब कॉलेज में अपनी जवानी को सेलिब्रेट
करते हुये खुद को अडल्ट बताने सॉफ्ट ड्रिंक की जगह हॉट ड्रिंक हाथ में लिया था तब
तो खुद को टॉप ऑफ़ द टॉप फील किया था दुनिया को खुद के चक्कर लगाते पाया था और आज
खुद को ही घूमते देख रहे थे ।
तब किसी का भी
टोकना-समझाना कितना बुरा लगता था ऐसे लोगों की परछाई से भी दूर भागते थे आज अंतिम
चरण में पहुंचकर लग रहा काश, तब सुनी होती वो बातें, समझा होता जीवन का महत्व तो
आज यूँ पछताना नहीं पड़ता मगर, अब इतनी देर हो चुकी कि दिन गिनने के सिवाय कोई
रास्ता नहीं मगर, जो वक़्त शेष बचा उसमें इतना ही कर ले कि जो इन बुराइयों में पड़े
उनमें से किसी एक की भी जिंदगी अगर बचा ले तो लगेगा कि जीवन व्यर्थ नहीं गया । ये दिन आने से पहले ही संभल जाये युवा तो सही वरना, नशे के आगे किसी
की चली वो मोहिनी पाश में जकड़ मारकर ही दम लेता विश्व में करोड़ों लोग इसकी चपेट
में जिन्हें ये भयावह दृश्य ही सावधान कर सकता यदि अब भी अवहेलना की तो फिर जैसे
नशे में गाफ़िल हो होश-हवास खोया वैसे ही दर्द से तड़फकर तकलीफ भी खुद ही झेलना...
सोच लो क्या हैं चुनना... जीवन या मौत... फैसला तुमको ही करना... विश्व धुम्रपान
निषेध दिवस पर यही आप सबसे हैं कहना... ☺ ☺ ☺ !!!
_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
३१ मई २०१८
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें