रविवार, 6 मई 2018

सुर-२०१८-१२६ : #कहीं_स्माइली_में_ही_न_रह_जाये_हंसी #विश्व_हास्य_दिवस_की_समझो_अभिव्यक्ति



आज तो लोग अपनी हंसी हो या ख़ुशी या कोई भी इमोशन उसे दर्शाने के लिये इमोजी का सहारा लेते हैं जो इस कदर हमारे जीवन में शामिल हो गया कि लगता धीरे-धीरे तकनीक के संग कदमताल करते हम एक दिन मशीन बन जायेंगे और फिर अपने होंठो पर सच्ची हंसी की जगह स्टीकर चिपकाकर ही अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस करेंगे क्योंकि, यंत्रों के बीच रहते-रहते हम अपने भीतर के अहसासों को अभियक्त करना भूल रहे

अपनी आंतरिक गहन अनुभूतियों को आज हम नकली चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित कर रहे फिर ये कैसे संभव नहीं कि हम इसके अभ्यस्त नहीं हो जायेंगे वैसे भी लोग दिखावे और बनावटी जीवन शैली को लोग जिस तरह से अमल में ला रहे वो दिन दूर नहीं जब हंसने के पहले सोचेंगे कि कहीं हंसने की वजह से उन्हें असभ्य तो नहीं समझा जायेगा खुद को सभ्य-सुसंस्कृत दिखाने का कुछ लोगों पर अत्याधिक दबाब हैं

जिसके कारण उन्हें अपने होंठो को कितने इंच तक फैलाना ये भी पहले से तय होता जिसका दायरा बढ़ने से उन पर गंवार होने का ठप्पा लगने का भय रहता इसलिये वे रोबोट की तरह निर्देशानुसार ही उनका इस्तेमाल करते जबकि, ये वो वरदान ईश्वर का जो सिर्फ इंसानों को ही मिला परंतु, इसे अभिशाप में बदलने में जिस तरह से जुटे हुये लोग तो निसंदेह ‘हास्य दिवस’ मनाकर ही उसकी पूर्ति की जायेगी

ऐसे में वो चीज़ जो बेमोल जिसे हम जन्म से ही सीखकर आते वो विलुप्ति की कगार पर आ गयी जिसे सहेजने दिवस बना दिया गया और अब तो बचपन भी मोबाइल में खोया जिसे देखकर हम बेसाख्ता हंस लिया करते थे अब तो सब सोशल मीडिया पर नकली सामाजिकता का निर्वहन करते-करते असलियत का व्यवहार ही भूल गये ऐसे में इन छोटे-छोटे चित्रों पर ही सारा भार आन पड़ा जिनका उपयोग कर हम अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बल्कि अपने भीतर की स्वाभाविक अभिव्यक्ति से महरूम हो रहे

‘विश्व हास्य दिवस’ का आयोजन कर इसकी खानापूर्ति कर रहे जिसकी कोई आवश्यकता नहीं क्योंकि हंसी का कोई दिन नहीं हर पल, हर एक क्षण और हर दिन होता इसलिये इस तरह के दिवस का कोई औचित्य नहीं परंतु, आधुनिक जीवन में तनाव व अवसाद के चलते भी इंसान हंसने के लिये समय नहीं निकाल पा रहा तो इस दिन को बनाया गया जो संकेत कर रहा कि संभल जाओ अपनी उस निश्छल हंसी को याद करो जिसे लेकर जन्मे हो कृत्रिम हंसी इसकी पूर्ति नहीं कर सकती न आपकी रगों में खून के संचार को ही बढ़ा सकती उसके लिये तो खुद को ही खुलकर हंसना पड़ेगा तभी हर एक लम्हा हास्यमय हो सकेगा... ☺ ☺ ☺ !!!
     
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०६ मई २०१८

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