उसे शिकायत
बहुत खुश नजर
आती हो तुम
चहकती फिरती
इधर-उधर
हर किसी से
बतियाती
बात-बात पर
हंसती-मुस्कुराती
हर महफ़िल की
शान कहलाती
लगता नहीं कि,
जरा भी दुख हैं
तुम्हें
मुझसे बिछड़कर
हमारे रिश्ते
के टूटने का
बल्कि, यूं महसूस होता जैसे
इंतज़ार कर रही
थी तुम कि
कब पीछा छूटे
मुझसे
अब उसकी ही
खुशियां मना रही हो
कैसे बताऊं
उसको
किस तरह से
समझाऊं मैँ
समंदर का तूफान
ऊपर से दिखाई
नहीं देता
पर, जब आता हैं
सब तहस-नहस कर
जाता
साथ अपने बहुत
कुछ ले जाता हैं
विंध्वस के
पहले और बाद
सब शांत ही
दिखता ।
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
०९ मई २०१८
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