मंगलवार, 15 मई 2018

सुर-२०१८-१३५ : #विश्व_परिवार_दिवस_यूँ_मनाओ #एकल_छोड़_संयुक्त_परिवार_बनाओ




विलायती संस्कृति में व्यक्ति आत्मकेंद्रित होता और खुद की ही खुशी, खुद के ही जीवन को महत्व देता जिसकी वजह से वहां न तो सयुंक्त परिवार जैसा कोई विचार और न ही रिश्तों-नातों का अहसास बस, स्वयं की खुशी सर्वोपरि जिसके लिये यदि बरसों पुराने बंधन को तोड़कर नया कोई रिलेशन बनाना हो तो एक पल का समय न लगता जबकि, भारत में परिवार व रिश्तों को प्राथमिकता दी जाती जिसके लिये समझौता कर के भी उसे बचाने की कोशिश की जाती न कि, महज़ मौज-मजे के लिये किसी से प्रेम संबंध बनाये जाते जैसा कि पाश्चात्य कल्चर में देखने आते वे लोग तो अपने बच्चों की खुशी की खातिर तक अपनी इच्छाओं का त्याग करते जिसका आनंद व महत्व उन्हें समय आने पर समझ आता ।

जैसे-जैसे हम विदेशी सभ्यता के उपरी आवरण से अपने आप को ढंककर आधुनिक बनते जा रहे वैसे ही भीतरी तौर पर संकुचित होते जा रहे और आर्थिक स्वतंत्रता हासिल होते ही हमें अपने जीवन में अपनों का ही हस्तक्षेप नागवार गुजर रहा जिसके कारण हम उनसे केवल तन ही नहीं मन की भी दूरियां बना रहे जिसका परिणाम कि कभी जहाँ हम बीसियों सदस्यों से भरपूर बड़े घर में भी मिलकर रहते थे अब वहीं विशालतम आवास में भी महज़ दो-चार सदस्य वो भी खुद में सिमटे इस तरह से रहते कि आपस में रिश्तेदार नहीं बल्कि औपचारिकता का निर्वहन करते अजनबी नजर आते ऐसे में थोड़ा रुककर सोचने की जरूरत कि आखिर हम कहाँ जा रहे और वो सब कुछ हासिल कर के भी क्या मिलेगा जबकि हम अकेले ही रह जायेंगे क्योंकि, ख़ुशी या सफलता भी तभी आनंद देती जब उनको बाँटने वाला कोई साथ में होता हैं     

परिवार विघटन की वजह से ही कई सारी अपराधिक घटनायें भी घटित हो रही क्योंकि पहले घर में बुजुर्ग होते तो वे न केवल घर के सदस्यों को संबल देते बल्कि सहारा भी बनते और बच्चे उनके सानिध्य में रहकर पिछली परम्पराओं से परिचित होते इस तरह प्राचीन और आधुनिकता के बीच वे सेतु बनते लेकिन, अब तो मोबाइल या गेजेट्स ही ये भूमिका निभा रहे तो फिर बच्चों का मशीन बनना कोई गलत नहीं जो बाद में उन्हीं माता-पिता से बेदिली से अलग हो जाते जिन्होंने उन्हें ये सब सुख-सुविधाएँ दी क्योंकि, अपने काम की वजह से वे उन्हें जज्बात देना भूल गये तो फिर भला जज्बाती रिश्ता किस तरह बनता इसलिए अब भी समय कि हम थोड़ा विचार करें कि हमें ये दिवस मनाना या सयुंक्त परिवार फिर से बनाना... यही इस दिवस की सार्थकता होगी... बधाई... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१५ मई २०१८

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