शुक्रवार, 25 मई 2018

सुर-२०१८-१४५ : #सौम्यता_का_मानवीय_रूप #सुनील_दत्त_के_व्यकतित्व_में_आता_नजर



लघु से विराट बनने की यात्रा में ‘सुनील दत्त’ कई पड़ावों से गुजरे और हर एक मोड़ पर अपने व्यक्तित्व में उस अनुभव के अहसास को आत्मसात कर लिया जिसने उनके मुखमंडल पर तेज का ऐसा आभामंडल बना दिया कि सादगी व सरलता के बीच उसमें अहंकार का लेश मात्र भी शामिल न था इसलिये तो सिर्फ रजत पर्दे पर ही नहीं वास्तविक जीवन में भी किरदार बदलते रहे मगर, वो अविचल छवि अपरिवर्तित रही जिसने एक लम्बे समय तक समकालीन युवाओं को प्रभावित किया और मुश्किल घड़ी में उनका मार्गदर्शन भी किया

वे सिर्फ एक सज्जन व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक संवेदनशील कलाकार और निर्देशक भी थे जिन्होंने अपनी उम्र के अनुसार अपने चरित्र का चयन किया और जब लगा कि समाज सेवा का समय हैं तो खुद को उस सांचे में ढालने में भी कसर नहीं छोड़ी कि उनके भीतर गंभीरता इस तरह समाई थी कि किसी भी काम को हल्के में लेना या उसे अधूरा छोड़ना उनकी फितरत में ही शामिल नहीं था तो जो भी कार्य हाथ में लिया उसे पूर्ण कर के ही दम लिया

जिसकी वजह से वो सिर्फ एक अभिनेता, निर्देशक, समाज सेवक, नेता ही नहीं बल्कि, पति व पिता की भूमिका में भी कमतर साबित नहीं हुये अपने जहाँ रजत परदे पर हर एक पात्र को उन्होंने अपने अभिनय से जीवित किया तो वही वास्तविक जीवन में अपनी जिम्मेदारियों को भी उतनी ही सूक्ष्मता से वहन किया जिसकी वजह से उनके जाने के बाद भी उनकी कमी महसूस होती कि ऐसा बहुमुखी अदाकार अपनी तरह का एक ही था

जिसको देखने पर यूँ तो तो वो महान शख्सियत मगर फिर भी एकदम सामान्य बोले तो अपना-सा लगता था जिसकी सौम्य मुस्कराहट पर रगों में उत्तेजना नहीं बल्कि सम्मान का भाव जगता था और उसके नकारात्मक रंग-रूपों में भी कहीं-न-कहीं मानवीयता का पुट समाया था तो वो भी कभी हिंसक या नफरत का सबब नहीं बने चाहे वो डाकू हो या खलनायक का चरित्र उन्होंने उनको भी अपने सहज-सरल व्यक्तित्व के चुम्बकीय प्रभाव से से उतना ही भावपूर्ण बना दिया जितना कि उनका असल चरित्र था

आज उनके पुण्य दिवस पर उनको यही भावों भरी शब्दांजलि... !!!       

_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२५ मई २०१८

कोई टिप्पणी नहीं: