एक महिला
वो भी
मुक्केबाजी करेगी
कल्पनातीत था
फिर भी बसा हुआ
था
जिन आंखों में
ये अनोखा सपना
उसने न सोचा
कुछ भी
पहनकर ग्लव्स
वो उतर पड़ी
करने को जोखिमों
से दो-दो हाथ
झेलने कठिनाइयों
के पंच
खेल के उस रिंग
में
डरकर पीछे हटने
का न जिसमें
सामने कोई
विकल्प था
सामना करना
सबका और जवाब देना
हर वार पर डटकर
खड़े रहना
बिना धैर्य-संयम
खोये तब तक लड़ना
मिल न जाये
विजय जब तलक
यही मूलमंत्र
लेकर आगे बढ़ी
मणिपुर की मणि एम.सी.
मेरीकॉम
मुश्किल लक्ष्य
पर अपने
छोटी जगह साहस था
मगर, बड़ा
जिसके आगे कदम
न डिगा
कदम दर कदम उसको
सच्चे-अच्छे
साथी मिलते गये
ख्वाहिशों को भी
पंख मिलते रहे
विश्व
चैंपियनशिप के खिताब
साल-दर-साल
हासिल होते चले गये
जीतकर 6 बार ये सम्मान
रच दिया उसने
आज फिर इतिहास
कर दिया साबित
कि,
शादी और बच्चे मात्र
एक पड़ाव
नहीं रोक सकते
ये कभी
एक औरत के
इरादे बेहिसाब
लगा नहीं सकती
बेड़ियाँ
इच्छाओं के
घोड़ों पर लगाम
देश की बेटी
तुझे हमारा सलाम
दिलाया नारी को
भी मान
बचाई न जाने
कितनी बेटियों की जान
प्रेरणा पाकर
निकल पड़ी है
बेटियां अपने घरों
से कई हजार
दिलों पर करने
राज
देश को दिलाने
अव्वल स्थान
करने हर स्वर्ण
पदक अपने नाम
मुबारक हो ये
जीत तुमको
यूँ ही बनाती
रहो नूतन कीर्तिमान
जियो
हजारों-हजारों साल
विश्व चैम्पियन
एम.सी. मैरीकॉम
☺ ☺ ☺ !!!
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
२४ नवंबर २०१८
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