सोमवार, 26 नवंबर 2018

सुर-२०१८-३२६ : #राष्ट्रीय_संविधान_दिवस_आया #कुछ_भूला_बिसरा_भी_याद_दिलाया




26 नवम्बर एक ऐसी तारीख़ जिसमें खुशी और गम दोनों एक साथ छिपे हुए है जहाँ हम इस दिन संविधान निर्माण की सालगिरह मनाते वहीं दूसरी तरफ हम सब आज ही के दिन 2008 में आतंकी हमले की वजह से शहीद हुए अपने देश के वीर जवानों की बरसी होने से उस दर्द को भी महसूस करते है ।

एक दिन से किस तरह कड़वी-मीठी यादें जुड़ जाती जो हमें कभी हंसाती तो कभी रुलाती फिर भी संविधान को मानने वाले ये जानते कि इस देश की शासन व्यवस्था में कहीं कोई कमी हो भी तो लोगों की देशभक्ति में तनिक भी फर्क नहीं इसलिये भले ही सिस्टम की किसी खामी की वजह से कोई आतंकवादी यहां घुस आये पर, वो हमारे हौंसलों को तोड़ नहीं पाता कि ऐसे मुश्किल वक़्त में तो देश का बच्चा-बच्चा भी अपने वतन की अमन-सुरक्षा की खातिर यदि कुछ सहयोग न भी कर सके तो हाथ जोड़कर दुआ जरूर मांगता है ।

संविधान एक दिन में नहीं बना और न ही एक व्यक्ति ने उसे अकेले ही बनाया और न ही उसे बनाने में सिर्फ एक देश से ही कुछ उधार लिया गया हो बल्कि, यहां तो जहां भी जो भी अच्छा और जनहितकारी लगा उसे अपने भारतीय संविधान में जगह दे दी गयी उससे प्रेरणा लेकर उसे अपने समाज के अनुसार परिवर्तित भी कर दिया गया और इस तरह हमने अपने देश के भीतर ही भिन्न जात-पात के लोगों की बगिया नहीं महकाई बल्कि, संविधान की किताब में भी इतनी विविधताओं का समावेश किया जिससे कि ये उपवन हमेशा खिला-खिला और सदाबहार बना रहे

इसका तात्पर्य ये कतई नहीं कि हम केवल अधिकारों की ही बिगुल बजाते रहे इसलिये कर्तव्यों की गठरी भी हमारे कंधों पर टांग दी गयी जो हमें याद दिलाती कि देश से केवल लेना ही नहीं उसको देना भी आना चाहिए उसे विकास के मॉडल के तौर पर देखने सरकार के भरोसे बैठने भर से काम न चलना अपना हाथ भी बढ़ना होगा मिल-जुलकर सबको अपने देश को सर्वोच्च स्थान पर लाकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन भी करना होगा तभी तो हम संतुलन स्थापित कर पायेंगे पर, अफसोस कि चंद लोग ही इसका पालन करते तभी तो हम पीछे ही रह जाते है ।

आज संविधान दिवस मनाने के साथ ही हमको ये भी समझना होगा कि देश के विकास की दौड़ में अव्वल न आने का कारण क्या महज़ वो मुट्ठी भर नेता है जो देश चलाते या उसमें हमारी भी कोई भूमिका है ? क्या वजह है कि इस देश की शांति को भंग करने आतंकी संगठन साज़िशें रचते रहते है ?? वो कौन है जो संविधान की कमियों का फायदा उठाकर अपने ही भाई-बहनों का हक मार लेते और आपसी रंजिश का माहौल बनाते है???

ऐसे कई प्रश्नों के जवाब हमको ढूंढना है और अपने बलिदानी जवानों को श्रद्धांजलि देने से पहले ये भी विचार करना है कि क्या इस हमले को रोका जा सकता था और इसके पीछे जिनक हाथ क्या उनसे हमको दोस्ती करना चाहिये ???

सिर्फ एक दिन यूं ही न गुजर जाने दे उसका मन्थन भी अवश्य करें तब ही बहुत से रहस्यों और बहुत-सी उन बातों को जान सकेंगे जिन सच्चाईयों को हमारे सामने आने से रोका जाता अन्यथा हर बरस ये दिन यूं ही आकर चला जायेगा और हम बस, उनका स्मरण कर उन्हें अपने श्रद्धा सुमन ही अर्पित करते रहेंगे जबकि, हम सबको अपने संविधान का सम्पूर्ण ज्ञान होना जरूरी है ।

जय हिन्द... जय भारत... 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२६ नवंबर २०१८

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