बुधवार, 28 नवंबर 2018

सुर-२०१८-३२८ : #लघुकथा_आनेस्टी_हमेशा_बेस्ट




तुम किसी के साथ लिव-इन में रही हो क्या?

इससे क्या फर्क पड़ता है...

पड़ता होगा तभी तो पूछा...

और तुम बताओ तुम नहीं रहे क्या?

हम तो जहाँ पले-बढ़े वही पढ़े-लिखे और वहीं जॉब लगी तो कभी ऐसी नौबत ही न आई

ओह, लिव-इन का लड्डू खाने नहीं मिला तो स्वाद पूछते फिर रहे तो झूठ नहीं कहूंगी हां रही हूं 2 साल जब चेन्नई में जॉब करती थी और 1 साल बैंगलोर जॉब के समय

वो रिश्ते टूटे क्यों?

क्योंकि, वो रिश्ते नहीं कॉन्ट्रैक्ट थे

तो, फिर रिश्ते में बंधना चाहोगी या आगे भी किसी कॉन्ट्रैक्ट का इरादा है

हम्म, गुड क्वेश्चन दो असफल लिव-इन के बाद यही सोचती हूँ कि अब कोई परमानेंट व्यवस्था होनी तो चाहिए

फिर मैं इस रिश्ते के लिये तुम्हारी हां समझूँ...

पहले ये बताओ लिव-इन वाला सवाल क्यों पूछा जबकि, जानते कि आजकल तो ये सब कॉमन गर, मैं झूठ बोल देती तो कैसे जानते

भले न जानता पर, शादी न करता क्योंकि सच की तलाश में निकला था जो अब तक देखी लड़कियों में सिर्फ तुम्हारे पास मिला और प्रॉब्लम लिव-इन से नहीं झूठ से है जो कभी-भी किसी रिश्ते की बुनियाद नहीं हो सकता

उसे महसूस हुआ वाकई, ‘सच’ पारसमणि होता जिसने उसे भी सोना बना दिया बचपन से सीखे एक सबक को गांठ बांधकर चलने से ऐसा सिला मिलेगा उसने कभी सोचा न था

आज वो मान गई कि आनेस्टी बेस्ट पालिसी होती है जिसकी किश्त यदि रेगुलर भरी जाये तो शानदार रिटर्न मिलता है ।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२८ नवंबर २०१८

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