गुरुवार, 8 नवंबर 2018

सुर-२०१८-३०८ : #प्रकृति_से_नाता_जोड़ो #त्योहारों_के_गूढ़_संदेश_समझो




भारत भिन्न मतों-सम्प्रदायों या लोगों का हो नहीं बल्कि, विभिन्न पर्वों का भी देश है जिन्हें मनाया जाना महज़ औपचारिकता या रस्म अदायगी नहीं होती इनके साथ व इनके पीछे बहुत कुछ गहरा जुड़ा होता जो हमें अपनी जड़ों से गहरे तक जोड़ता है इसलिये जरूरी है कि उनको आउट डेटेड या अनावश्यक न समझ उनके मर्म को समझने का प्रयास करें तब इनको मनाना हमारी खुशियों को कई गुना बढ़ा देता है ।

दीपोत्सव पर्व के पांच दिवसीय पैकेज में आज का पर्व अन्नकूट या गोवर्धन पूजा सीधा-सीधा हमको प्रकृति से जोड़ता जिनके बिना हमारा अस्तित्व अधूरा ही नहीं असंभव भी होता क्योंकि, हम जीवन-यापन इन पर निर्भर करता इसलिये ये समझना कि वे हमसे है हमारी सबसे बड़ी भूल साबित होगी क्योंकि, प्रकृति को हमारे बिना कोई फर्क नहीं पड़ेगा मगर, हम उसके बिना सांस भी नहीं ले पायेंगे फिर भी न जाने किस झूठे गर्व में हम उनको तुच्छ समझ नजर अंदाज करते पर, वो अपने तरीके से हमें अपनी महत्ता ज़ाहिर कर ही देती है ।

गोवर्धन का तात्पर्य ही है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का विस्तार या वर्धन करें ताकि हम ही नहीं सभी लोग सुखपूर्वक जीवन बिता सके और छप्पन प्रकार के भोगों का अन्नकूट बनाकर उसके प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित भी कर सके तो हर त्यौहार हमें कहीं न कहीं जमीन से जोड़ने का प्रयास करता है तो सभी अपनी जड़ों से जुड़े यही शुभकामना आज के दिन आप सबके लिये... शुभ अन्नकूट/गोवर्धन पूजा... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०८ नवंबर २०१८

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