गुरुवार, 29 नवंबर 2018

सुर-२०१८-३२९ : #आभासी_ही_सही_फेसबुक #सतर्क_सावधान_रहना_तो_जरूरी_है




फेसबुक को आभासी दुनिया या वर्चुअल वर्ल्ड इसलिये नहीं कहते कि वो वास्तव में है नहीं बल्कि, इसलिये कि यहाँ जो भी हो रहा या दिखाई दे रहा उसमें से ज्यादातर केवल दिखावटी या नकली है जिसे माया, झूठ, फरेब कहते है और जिसकी सच्चाई का पता लगाना भी आसान नहीं क्योंकि, सब कुछ इस तरह से पेश किया जाता कि सही ही लगता है  

जिस तरह से दिनों-दिन तकनीक एडवांस होती जा रही और नये-नये एप्स व टूल्स आ रहे उसकी वजह से ये सोचना जरूरी है कि सामने जो कुछ भी नजर आ रहा वो क्या वाकई में वैसा ही है जैसा कि दर्शाया जा रहा है क्योंकि, कोई भी व्यक्ति अपनी सोच को हूबहू वैसा ही प्रदर्शित तो नहीं कर सकता जैसा कि वो सच में महसूस करता है

इसलिये दुनिया को दिखाने वो मन के विचारों को सुन्दरता का जामा पहनाकर ही सबके सामने दिखाता ताकि, जिस तरह व्यक्ति उपरी चमक-दमक से प्रभावित होकर कोई भी उत्पाद खरीद लेता उसी प्रकार वो खुद की फोटोशॉप से बनी मोहक खुबसूरती व शब्दों के घालमेल की कारीगरी से यहाँ उपस्थित लोगों को अपना फलोवर बनाना चाहता है

इसलिये उसके अंतर में कोई गलत ख्याल भी होता तो वो इस तरह से उस पर लुभावना आवरण चढ़ाकर उसको सबके सामने रखता कि वे उसे ही सच मानकर उसके दीवाने हो जाते और ऐसे अनगिनत लोग यहाँ पर है जिनके नाम, पहचान और वास्तविकता का अता-पता नहीं फिर भी उनसे हजारों लोग जुड़े जो बाद में पछताते भी है

सबके तो नहीं पर, अधिकांश चेहरों पर मुखौटे है केवल उन्हीं को पहचाना जा सकता जिन्हें कि हम हकीकत में जानते है बाकी तो सब दिखावा है तो ऐसे में ये बेहद जरुरी कि हम इस छलावे में न आये और मछली की तरह उनके जाल में फंस जाये तो इसका उपाय कि उन्हीं को दोस्त बनाये जिनसे कोई पूर्व परिचय हो या जिनकी पहचान संदिग्ध न हो अन्यथा किसी दिन कोई बड़ा धोखा भी हो सकता जिस तरह मायावी दुनिया में पग-पग पर होता है            

बाबूजी धीरे चलना, सिर्फ... सच्ची नहीं आभासी दुनिया की भी जरूरत है वरना, स्क्रीन शॉट के धोखे है राहों में जो ऐसा गिरायेंगे कि सम्भलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी हो सकता है

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२९ नवंबर २०१८

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