सोमवार, 5 नवंबर 2018

सुर-२०१८-३०६ : #धन्वंतरि_जयंती_की_सार्थकता #स्वास्थ्य_के_प्रति_सदैव_रहे_सजगता




जीवन में सब कुछ होना उतना मायने नहीं रखता जितना कि शरीर का पूर्ण रूप से स्वस्थ होना और स्वस्थ रहने का मूलमन्त्र है खुद के प्रति लगाव होना भीतर से प्रसन्न रहना जिसके लिये कहा गया है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा यही आंतरिक शक्ति जो हमें हर परिस्थिति में सकारात्मक रहने की शक्ति प्रदान करती है । तन का स्वस्थ होना बहुत कुछ न पर निर्भर करता जिसकी वजह से बाहर कमी होने पर भी यदि भीतर उस अभाव का अहसास कोई ऐसी तरंग या रसायन उत्पन्न नहीं करता जिससे कि होंठों की हंसी गम में बदल जाये तो समझो कि हमने वो रहस्य पा लिया जो प्रतिकूलता में भी अनुकूलता का प्रभाव पैदा करता है ।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी वो विशेष तिथि जिस दिन दीर्घकाल तक हमें निरोग रहने का ज्ञान देने और हमारा कायाकल्प करने आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि स्वयं अमृत कलश लेकर प्रकट हुए जिससे कि हम प्राकृतिक तरीके से अपनी चिकित्सा कर खुद को लंबे समय तक न केवल हेल्दी बल्कि, ऊर्जावान व युवा बनाये रखे जो कि सिर्फ आयुर्वेद में ही सम्भव है । हमने प्रकॄति से अपने आपको दूर कर कृत्रिमता के वातावरण में जब से रहना व जीना शुरू कर दिया मानो बीमारियों को स्वयं ही आमंत्रण दे दिया क्योंकि, जिस तरह के तकनीकी माहौल में अदृश्य जहरीली तरंगों के बीच हम जीवन यापन कर रहे उसे मौत के कुएं में चक्कर लगाना ही कहेंगे फिर भी यंत्रों से जीवन छुड़ाना मुश्किल हो गया कि इनके बीच ही हमारा सारा समय व्यतीत होता है ।

ऐसे में 'आयुर्वेद' ही एकमात्र उपाय जो हमें इन अदृश्य शत्रुओं से लड़ने ताकत की ताकत देता और जीवन जीने का सही ढंग भी सीखाता है इसलिये हमारे लिए ये जरूरी कि, विदेशों से हमारी ये जीवन शैली पलटकर पुनः वापस आये उससे पहले ही हम जाग जाये अन्यथा रोगों की मार सहने तैयार रहे । हमारी पुरातन जीवन पद्धतियां जिसमें हमारी हर गतिविधि जमीन से जुड़ी थी आजकल नदारद है चाहे खाना-पीना हो या फिर सोना-जागना या बैठना-उठना सब कुछ अधर में हो रहा तभी तो हम भी अधर में ही लटके है ।

आज धन्वंतरि जयंती मनाने का उद्देश्य केवल खरीददारी करना या पकवान खाना ही नहीं है बल्कि, इसकी वास्तविकता को भी समझना है जिससे कि हम निरोगी काया के साथ जीवन के हर पल का आनंद ले सके अन्यथा हर सुख-सुविधा बेमजा होकर रह जायेगी गर, देह को रोग का कीड़ा काट लेगा तो इससे बचने कृत्रिमता से भागे प्रकॄति से रिश्ता जोड़े... सबको यूं धनतेरस की शुभकामनाएं बोलें...☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०५ नवंबर २०१८


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