'शिविका'
तुम्हें अब इन सात दिनों की यादों से ही काम
चलाना पड़ेगा क्योंकि, कम्पनी ने मेरा
ट्रांसफर दूसरे शहर कर दिया तो कल मैं चला जाऊंगा और पता नहीं कब तक तुम्हें वहां
बुला पाऊं या यहां वापस लौट पाऊं इसलिये इन सात दिनों को तुम्हारे साथ जी-भरकर
जिया और जब प्रेम की परकाष्ठता को महसूस किया तो जाना कि अब तक तो मैं अधूरा था ‘आय लव यू’ मुझे ये खुशी देने के लिए तुम मेरी ज़िंदगी हो हम जल्द एक होंगे ये
मेरा वादा है ।
'निहार' सच्ची, ये सातों दिन बहुत बढ़िया बीते मैं हर पल
की यादों को अपने भीतर संजोकर रख लूंगी और जब भी तुम्हारी याद आयेगी कोई भी एक खुबसूरत
अहसास अपने मस्तिष्क के मेमोरी कार्ड से निकालकर दिल के स्क्रीन पर प्ले कर लूंगी
और उस लम्हे को फिर से जी लूंगी इससे बढ़िया ‘वैलेंटाइन डे’ कोई दूसरा हो ही नहीं
सकता था । फिर भी एक बात से दिल बैचेन हो रहा कि तुम्हारे विछोह को मैं किस तरह
सहन कर पाऊंगी और यदि वहां जकर तुमने मुझे भूला दिया या किसी दूसरे से दिल लगा
लिया तब मेरा क्या होगा । इन सबसे बढ़कर वो एक ख्याल जिसने मेरे दिलों-दिमाग में
खलबली मचा दी कहीं हमारी मुहब्बत महज़ सात दिनों की फ़िल्म तो नहीं कि जिसका आज ‘वैलेंटाइन
डे’ के साथ ही दी एंड हो जाये ।
तुमने ये सोच
भी कैसे लिया क्या उन लोगों को देखकर जिनका इश्क़ ‘रोज डे’ से शुरू होकर ‘वैलेंटाइन
डे’ तक होता जबकि, मेरी चाहत की
शुरुआत तो उस दिन हुई जब तुम्हें देखकर दिल धड़कने का सबब और प्रेम शब्द के मायने
समझा था । इन सात दिनों में ने तो केवल प्यार के उस पौधे
को अपनी जड़ें जमाने का मौका दिया जो अब इतनी गहरी जम चुकी कि इसके वृक्ष बनने और
इस पर फल-फूल लगने में कोई संदेह न रहा और आश्चर्य कि तुम इस अहसास को जीने की
बजाय शंकाओं में गंवा रही मेरे लिए ‘वैलेंटाइन डे’ महज़ एक दिन है, अपनी प्रेम कहानी का दी एंड नहीं है ।
इस एक आश्वासन ने
अंतर के सभी संदेहों को मिटाकर वहां प्रेम का अखंड दीपक प्रजवलित कर दिया था जिसे
विश्वास के ईधन से अनवरत जलाये रखना उन दोनों की ही जिम्मेदारी थी तो दोनों ने
अपने एक-एक हाथ बढ़ाकर उसकी कंपकंपाती लौ को सदा के लिये जीवन दान दे दिया था ।
#Last_Day_Last_Story
#Valentine_day_Just_A_Day
#Not_The_End_Of_Love
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
फरवरी १४, २०१९
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