मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

सुर-२०१९-५७ : #आतंकवाद_की_फैक्ट्री_पर_हमला #भारतीय_वायुसेना_ने_दिखाया_अपना_जलवा




“पारंपरिक युद्ध में हम भारत को पराभूत नही कर सकते, इसका शत्रु को एहसास है क्योंकि, शत्रु को सबक सिखाने की, उनके सरहद में घुंसकर कार्रवाई करने की हमारी क्षमता हमने दिखाई है सियासी नेतृत्व जो जिम्मेदारी देगा, उसके अनुसार जिम्मेदारी निभाने के लिए वायु सेना हर समय तैयार है और दी हुई जिम्मेदारी को अंजाम देने के लिए वायु सेना हमेशा तैयारी रहेगी’’
---भारतीय वायु सेना प्रमुख ‘एअरचीफ मार्शल बी.एस.धनोआ’

ज्यादा पुरानी नहीं सिर्फ 10 दिन पहले की बात है जब 14 फरवरी को हुये पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायु सेना राजस्थान के ‘पोखरण’ क्षेत्र में अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन कर रही थी । इस दौरान ही भारतीय वायु सेना प्रमुख एअरचीफ ‘मार्शल बी.एस.धनोआ’ ने पाकिस्तान को इन शब्दों में अप्रत्यक्ष फटकार लगाई साथ ही साथ उस समय उन्होंने ये भी संकेत दिये कि वायु सेना किसी भी चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार है इस वायु शक्ति-२०१९युद्धाभ्यास में वायु सेना ने लडाकू जॅग्वार, सुखोई, मिराज-२०००, ‘एएन-३२’, ‘सी-१३०विमान उतारकर उनके साथ-साथ खुद को भी परख लिया था । कितने आश्चर्य की बात है कि उन्होंने न केवल खुलेआम ये सारे परीक्षण किये बल्कि, दुश्मन को चेतावनी भी दे डाली कि वो अलर्ट रहे इस बार हमला आसमान से होगा पर, इसे क्या कहे कि सब कुछ देख-सुनकर भी पड़ोसियों को कुछ-भी समझ न आया हम जहाँ अपनी सेना पर विश्वास कर बेफिक्र रहते वहीं दूसरी तरफ वे अपने आतंकवादियों के भरोसे चैन से सोते और इसका नतीजा कि इस बार उनको ही राडार पर लिया गया कि न रहे आतंकी, न रहेगा आतंकवाद और न ही हो फिर विनाश हालाँकि, ये इतनी जल्दी आसान नहीं है  

कमजोर लोग जहाँ युद्ध की कल्पना कर-कर के ही दुबले हुये जा रहे थे और मानवतावादियों ने तो रुदाली गान भी शुरू कर दिया था उफ़, उनके मानवीयता से भरे पोस्ट्स पढ़कर मानवता भी कहीं कोने में छिप गयी थी क्योंकि, उसे तो उनकी हक़ीकत पता थी कि देश के सैनिकों के क्षत-विक्षत शव जिनकी आँखों की कोरों को गीला करना तो दूर उनके हृदय में भी करुणा का संचार न कर सके उनका महज़ युद्ध की कल्पना से तड़फना सिर्फ मगरमच्छी आंसू टाइप दिखावा है पता नहीं इन सभी सो कॉल्ड ह्यूमन एक्टिविस्ट्स को किस तरह की ट्रेनिंग दी जाती कि ये सब हर मसले पर एक समान राग अलापने लगते है ये भी निश्चित कि जब इनके घर में हमला हो या इनका अपना कोई हताहत हो तो इनका सुर बदल जाता तो फिर हमारे देश के 40 से अधिक वीर की जघन्य हत्या पर हमारी सेना के साथी किस तरह से खामोश बैठते जो जुबान से नहीं जंग के मैदान पर हथियार से अपनी बात बोलने के आदि है  

१४ फरवरी को देश में शोक की लहर जो उठी तो उसके चपेट में आम जनता ही नहीं सेना भी आई मगर, जहाँ हम सिर्फ, लिखकर या बोलकर ही अपने मनोभावों को ज़ाहिर करते रहे या फिर आक्रोश के उबाल पर मुठ्ठियाँ भींचते रहे मगर, हमारी सेना ठान चुकी थी कि इसका प्रतिकार किस तरह से लेना है इस पूरे हत्याकांड को आतंकवाद के नाम पर एक बम विस्फोट के द्वारा अंजाम दिया गया तो उन्होंने उनकी तरह निरीह सेना या अवाम को मारने की जगह आतंकियों को ही ठिकाने लगाने प्लान तैयार किया एक ऐसी सुनियोजित योजना बनाई और इस तरह से उसे पुलवामा अटैक के ठीक तेरहवें दिन उसे क्रियान्वित किया गया कि आज जब उन शहीदों की त्रयोदशी आई तो साथ ही उनकी मृत्यु भी लेकर लाई और इस तरह सेना के माध्यम से उनकी आत्मशांति हेतु सच्ची श्रद्धांजलि दी गयी विदेश सचिव गोखलेजी के द्वारा इसे किसी तरह का हमला या आक्रमण नहीं बल्कि, गैर-सैन्य कार्यवाही ही बताया गया जबकि, वो कह सकते थे कि हमने बदला ले लिया मगर, जब तक रिवेंज बाकी तब तक ये कहना बेमानी तो ऐसा कोई दावा नहीं किया

इस पूरे ऑपरेशन को सफलतापुर्वक हमारे देश की वायु सेना ने पूर्ण किया जिसका आदर्श वाक्य ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ है जिसका अर्थ होता है ‘आकाश को स्पर्श करने वाले देदीप्यमान’ तो आज वाकई, में उन्होंने अपने शौर्य व पराक्रम से उस गगनचुम्बी ऊंचाइयों को हासिल कर ही लिया और सबके दिलों को भी जीत लिया जो 14 फरवरी के बाद से ही उदास थे अपने इस साहस को दर्शाने भारतीय सेना ने ऑफिशियली ट्वीट कर जानकरी दी जिसमें उन्होंने बड़े ही सुंदर तरीके से अपनी कार्यकुशलता व इतने बड़े एयर सर्जिकल को शत-प्रतिशत सक्सेस करने की ख़ुशी को साँझा किया जो केवल भारत में ही संभव है... 

'क्षमाशील हो रिपु-समक्ष
तुम हुए विनीत जितना ही,
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही।

सच पूछो, तो शर में ही
बसती है दीप्ति विनय की,
सन्धि-वचन संपूज्य उसी का
जिसमें शक्ति विजय की।'

वाकई, जिसमें जीतने की ताकत हो उसका हमेशा क्षमाशील बने रहना देश को दुनिया के समक्ष ‘सॉफ्ट कंट्री’ ही बनाता पर, आखिर कब तक हम यही भाव बनाये रखते हुये अपने देश के सैनिकों को मरते हुये देखते रहते एक दिन तो खून खौलना ही था माना कि हमारा घरों में बैठकर जंग या युद्ध की बात करना और ये सब कहना या लिखना बड़ा सहज-सरल क्योंकि, हमें तो जाकर नहीं लड़ना पर, ऐसा भी कोई काम न करें कि हमारे सैनिकों का मनोबल बढने की जगह कम हो जाए और यदि वक़्त पड़ा तो विश्वास है कि ये कलमवीर तलवार चलाने में भी पीछे न हटेंगे । जिस तरह से आज ‘वायुसेना’ ने गीता के एकादश अध्याय ‘विश्वरूपदर्शन’ के निम्न श्लोक के प्रथम अंश से लिये अपने सूत्र वाक्य को अपने साहसपूर्ण कारनामे से साकार किया वो हम सबके लिये गर्व व हर्ष का विषय ही नहीं बल्कि, ये भी अहसास दिलाता कि आज उसने पाकिस्तान को अपना जो ‘विश्वरूप’ दिखाया उसमें हम सब भी शामिल है ।  

ऐसे में इस श्लोक को पूर्ण रूप से पढ़कर इससे रोमांचित होता तो बनता है...
    
नभःस्पृशं दीप्तमनेकवर्णं
व्यात्ताननं दीप्तविशालनेत्रम्।
दृष्ट्वा हि त्वां प्रव्यथितान्तरात्मा
धृतिं न विन्दामि शमं च विष्णो।।

आपके आकाशका स्पर्श किये हुए यानी स्वर्ग तक व्याप्त प्रदीप्त-प्रकाशमान और अनेक वर्णोंवाले अर्थात् अनेक भयंकर आकृतियोंसे युक्त देखकर तथा फैलाये हुए मुखोंवाले जिस शरीरमें फैलाये हुए बहुतसे मुख हैं ऐसे और दीप्त विशाल नेत्रोंवाले जिसके बड़ेबड़े नेत्र प्रज्वलित हो रहे हैं ऐसे? देखकर हे विष्णो प्रव्यथितअन्तरात्मा,अत्यन्त भयभीत अन्तःकरणवाला मैं अर्थात् जिसका मन भयसे व्याकुल हो रहा है ऐसा? मैं धैर्य और उपशमको अर्थात् मनकी तृप्तिरूप शान्तिको नहीं पा रहा हूँ ।

एक हजार किलो का बम ब्लास्ट और मिराज का मिज़ाज देखकर पाकिस्तान भले अशांत है मगर, हमें तो शांति मिली यही आज का हासिल है... जय हिंद, जय भारत, वन्दे मातरम... वायु सेना जिंदाबाद... भारतीय सेना जिंदाबाद...  🇮🇳🇮🇳🇮🇳️ !!!

#NationFirst
#IndianArmy
#AlwaysReady
#Mirage2000
#IndianAirForce
#IndianArmedForces
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
फरवरी २६, २०१९

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