सबसे पहली बार
1960 में सशस्त्र बलों ने वॉर मेमोरियल तैयार करने का प्रस्ताव रखा था परन्तु,
किन्हीं वजहों से वो काम अटकता रहा परन्तु, पिछले ६ दशकों से लगातार सुरक्षा बलों
के द्वारा सेना के साहस-वीरता को दर्शाने वाले जिस स्मारक की मांग की जा रही थी आज
देश को उसका वो बहुप्रतीक्षित शौर्य व सम्मान का प्रतीक आख़िरकार मिल ही गया जब देश
के प्रधानमंत्री ने ‘नेशनल वॉर मेमोरियल’ को देश की जनता के हवाले कर दिया ताकि वे
भी जान सके कि आज वे राष्ट्र के जिस स्वरुप को देख रहे जिस खुली हवा में सांस ले
रहे वो कोई तश्तरी में परोसकर या महज़ जन्म लेने भर से उनको हासिल नहीं हुई है । जिस तरह से हम बेहद कठिनाइयों से पाई हुई आज़ादी को महज़ ७२ वर्ष के बाद
ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी भूलते जा रहे और देश के गौरवशाली इतिहास से धीरे-धीरे बेशकीमती
पन्ने भी गुम होते जा रहे तो मुमकिन लगता कि आने वाले समय में इसी तरह से आज़ादी के
बाद होने वाली उन जंग की वो प्रेरणादायी अमर कहानियां भी किसी कोने में दफना दी
जाती जिसकी वजह से आज हम सर उठाकर जी रहे है ।
ऐसे में
उन युद्ध के उन सभी दस्तावेजों को स्मारक में ढालकर सदा-सदा के लिये जीवंत करने के
लिये महाभारत के चक्रव्यूह की सरंचना से प्रेरणा लेकर उसी आकृति में देश की
राजधानी में ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ के निर्माण का संकल्प अक्टूबर २०१५ में वर्तमान
सरकार ने लिया और आज वो ऐतिहासिक दिवस जब उसे लोकार्पित भी कर दिया गया जिसका होना
हमारे देश ही नहीं हम सबके लिये भी गौरव की बात है । 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र
जरुर प्राप्त हुई मगर, उसके बाद भी उसने आने वाले समय में अनेकों जंग का सामना
किया जिसमें 1961 में गोवा मुक्ति आंदोलन,
1962 में चीन से युद्ध, 1965 में पाक से जंग,
1971 में बांग्लादेश निर्माण, 1987 में
सियाचिन, 1987-88 में श्रीलंका और 1999 में कारगिल महत्वपूर्ण
है इन सभी लड़ाइयों में लगभग २२५५० जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी जिनको
सम्मान देने इसे निर्मित किया गया है ।
स्वतंत्रता के
बाद इस देश ने जितनी भी जंग लड़ी और अपने वीर सपूतों को गंवाया ये स्मारक उन सभी को
याद करता है और यह स्मारक चार चक्रों अमर चक्र, वीर चक्र, त्याग चक्र और
रक्षा चक्र पर केन्द्रित है और इसमें थल सेना, वायुसेना और नौसेना के समस्त शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुये उनके
नाम दीवार की ईंटों में उकेरे गए साथ ही 21 परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्ति भी बनाई
गई हैं । तिरंगे के
लिये जीने और मरने वाले समस्त वीर जवानों को समर्पित इस स्मारक का मिलना हम सबके
लिये गर्व और हर्ष का विषय है और वो भी उस समय में जबकि, देश ने कुछ दिनों पहले ही
अपने ४० से अधिक जवानों को अकारण ही खो दिया है ।
वतन पर मरने वालों के बाकी निशां
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में महफूज रहेंगे सदा...
जय हिन्द... वन्दे मातरम... 🇮🇳️ 🇮🇳️ 🇮🇳️ !!!
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© ® सुश्री इंदु
सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
फरवरी २५, २०१९
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