शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

सुर-२०१९-३२ : #एक_बेटी_की_उड़ान #अनेक_बेटियों_की_मुस्कान




स्वप्न देखा था कभी
बादलों के उस पार पहुंचना
करीब-से चाँद देखना
करना सैर आसमान की जी-भर
ग्रह-नक्षत्रों संग आँख-मिचौली खेलना
आकाश गंगा के बीच कहीं
दुनिया अपनी बसाना
मुमकिन नहीं लगता था
रहकर धरती के एक कोने में
सुख-सुविधाओं से दूर
असम्भव को सम्भव बनाना
दिल में था मगर,
दृढ विश्वास और ये अहसास
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
शिद्दत से चाहो जिसे
कुदरत भी मिलाती है उससे तो
करनाल की ‘कल्पना चावला’
हौंसलों से अपने
बन गई वो उड़न परी
हौंसलों से सपनों को हासिल किया
सोचा था जो कभी
हक़ीकत में उसको पूरा किया
जीना हो या मरना    
अन्तरिक्ष में तारा बन चमकना
देश की बेटी चली गई
दिन था वो काला आज का ही
लेकर गयी एक फरवरी
दिलों में आज भी मगर, अंकित है
मुस्कुराती हुई छवि वही !!!

#Remembering_Kalpana_Chawla
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
फरवरी ०१, २०१९

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