सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

सुर-२०१९-३५ : #कैंसर_नहीं_असाध्य_रोग #तीव्र_इच्छाशक्ति_से_जीत_सकते_लोग




कभी ‘कर्क रोग’ या ‘कैंसर’ शब्द मौत का पर्याय समझा जाता था मगर, चंद जिन्दादिल और जुझारू लोगों ने इसके मायने ही बदल दिये या बोले तो इसके प्रति लोगों का भय कम कर दिया जिसकी वजह से अब ये कोई लाइलाज मर्ज नहीं रहा सिवाय कुछ उन प्रकरणों के जहाँ इसका पता देर से लगता या फिर ये शरीर के किसी ऐसे हिस्से में हमला करता जहाँ से इसके निकाल पाना नामुमकिन हो अन्यथा अब ये काफी हद तक विज्ञान के काबू में है आजकल इसका नाम सुनकर प्रतिक्रिया उस तरह नहीं होती जिस तरह कुछ साल पहले तक होती थी कि यदि पता चले कि किसी को ‘कैंसर’ हुआ है तो लोगों उसके जीने की आस छोड़ ही देते थे और डॉक्टर खुद भी तकनीक व दवाइयों के अभाव में उसके इलाज के प्रति आश्वस्त नहीं होते थे तो अमूमन यही कहते कि जीवन के जितने दिन बचे उसे जी भरकर जी ले और उन सपनों या इच्छाओं को पूरा कर ले जिसकी उसके मन में साध थी

आज ये तस्वीर काफी बदली नजर आती जब किसी को ये खबर हो कि उसे ‘कैंसर’ हुआ है तो वो उतना नहीं घबराता बल्कि, आशा भरी नजरों से उन चेहरों को याद करता जिन्होंने इस जंग को जीतकर मौत को हराया है और दुनिया को बताया कि, यदि जीने का जज्बा डर से अधिक हो तो मृत्यु को घुटने टेकने ही पड़ते है जिसमें आत्मशक्ति का उत्प्रेरक भी गर, सही तरीके से अपना काम करें तो फिर आपको कोई-भी हरा नहीं सकता है वैसे तो ये सब ज्यादातर मशहूर हस्तियों में ही अधिक देखने में आया चूँकि, वे प्रसिद्ध तो उनकी हर खबर सबको हो जाती इसके बावजूद भी अगर हम अपने आस-पास भी हम नजर डाले तो ऐसे अनेक लोग मिल जायेंगे जो जीवन-मृत्यु की इस खतरनाक जंग में विजेता बनकर उभरे जिनकी कहानी सुनकर हमें अहसास होगा कि ये किसी भी बड़ी हस्ती से कम नहीं है

वैसे तो ये रोग शरीर के किसी भी अंग में कभी भी हो सकता और आज की जीवन शैली व खान-पान भी ऐसा कि जो इस रोग को दावत देता जिसमें पुरुष ही नहीं स्त्रियाँ भी आगे है ऐसे में केवल सावधानी व जागरूकता ही इससे बचने का कारगर उपाय है तो इसके लिये सजग व सतर्क रहना निहायत ही जरुरी जो इतना कठिन भी नहीं केवल, समय-समय पर अपना मेडिकल चेकअप करवाये और कुछ भी असामान्य नजर आये तो उसे सामान्य तौर पर न ले बल्कि, उसकी जाँच करा संतुष्ट हो ले क्योंकि, अक्सर देरी ही इसके इलाज में बाधक साबित होती है और ये भी तो एकदम से डेंजर स्टेज में नहीं पहुंचता धीरे-धीरे मौत की तरफ कदम बढाता तो हम भी उसकी ही तरह सावधान हो जाये और उसे इसे उस स्थिति तक पहुंचने से पहले ही पकड़ ले तो फिर इसे पछाड़ना मुश्किल नहीं यही तो इस ‘विश्व कैंसर दिवस’ का उद्देश्य जिसे हम आज मना रहे है ।           

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
फरवरी ०४, २०१९

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