मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019

सुर-२०१९-५० : #शिवाजी_की_रणनीति_अपनाओ #दुश्मन_पर_गनिमी_कावा_आजमाओ




हर दिन से कुछ ऐसा जुडा जो हमें अपने इतिहास में झाँकने का अवसर देता कि हम उस सुनहरे अतीत को भूल न जाये जिसमें हमारी मातृभूमि का गौरवशाली कालखंड छिपा हुआ जो हमें अपनी गलतियों को न दोहराने तो अपने बीते हुये समय से हमेशा कुछ नया सीखने की प्रेरणा देता मगर, अफ़सोस कि आज़ादी के बाद हम इतनी जल्दी इतने आगे बढ़ गये कि नई पीढ़ी को तो लगता कि सदा से सब कुछ ऐसा ही था हम ऐसे ही बेफिक्र, स्वतंत्र और अपनी मर्जी के मालिक थे जबकि, इस दौर को लाने में जिन्होंने अपना बलिदान दिया और भारत की भूमि पर कब्जा जमाने की नीयत से आये आततायियों को इस धरा दे खदेड़ने में अपना सर्वस्व दांव लगा दिया वे यदि जानते कि एक दिन ऐसा आयेगा जब बरसों-बरस की लड़ाई के बाद प्राप्त हुई स्वतंत्रता की अहमियत को लोग यूँ भूल जायेंगे मानो ये खुली हवा, ये आसमान, ये जमीन उन्हें विरासत में मिली है जिसे कोई फिर कभी नहीं छीन पायेगा तो निश्चित ही वे अपने प्राणों का त्याग ऐसे कृतध्न लोगों के लिये कतई नहीं करते जिनको उनके नाम तक पता नहीं और जो उनके स्मरण के लिये दो पल का समय तक नहीं दे सकते है    

आज यदि हमने अपने उन वास्तविक नायक-नायिकाओं को अपने जीवन में रोल मॉडल की तरह अपनाया होता उनकी जीवन गाथा को अपनी जुबानी दोहराया होता उनकी कहानियों को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे पहुंचाया होता तो निश्चित ही इस देश की तस्वीर ऐसी नहीं होती क्योंकि, इस पर सदा ही परेशानियों के बादल छाये, सदा ही इसको अपना बनाने की खातिर शत्रु ने हर हथकंडे अपनाये लेकिन, वे कामयाब न हो पाये कि इस भूमि ने ऐसी संतानों को जनम दिया जिन्होंने इसकी रक्षा की खातिर निजहित नहीं सिर्फ राष्ट्रहित को प्राथमिकता दी जबकि, आज लोगों के लिये स्वार्थ ही सर्वोपरि जिसके लिये वे अपने देश को बेचने तक से नहीं चूकते यहाँ तक कि अपने ही रक्षक पर पत्थर बरसाते और उन आतंकियों की जान बचाने चाहते जिनका इरादा यहाँ के लोगों को फिर अपना गुलाम बनाकर इस धरती को फिर रक्त से लाल करना है पर, ये सिर्फ आज देखते दूरदर्शिता या भविष्य का ख्याल उनके जेहन में दूर-दूर तक नहीं जिस तरह से बंटवारे के समय लिये गये निर्णयों पर आगामी दृष्टि न डालकर तात्कालिक लाभ देखा गया जिसका खामियाजा आज हम भुगत रहे है

जिस तरह के हालात आज बन रहे ऐसी ही कठिनाइयों का सामना हमारे देश ने पहले भी कई बार किया यहाँ तक कि अस्तित्व बचाने मरने-मारने की नौबत तक आ गयी ऐसे में छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगलों से निपटने ऐसी रणनीति व युद्धनीति अपनाई जो उसके पूर्व तक प्रचलन में नहीं थी जिसे उस समय ‘गनिमी कावा’ या आजकल ‘गौरिल्ला युद्ध’ के नाम से जाना जाता है और इसके दम पर उन्होंने कई दुश्मनों को धूल चटाकर उनके साम्राज्य को समाप्त कर वहां अपना आधिपत्य स्थापित किया यहाँ एक ऐसा चातुर्यपूर्ण युद्ध कौशल माना जाता है जिसमें अपने शत्रु को भनक तक नहीं लगने दी जाती और उस पर आक्रमण कर उसे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया जाता है यदि हम अपनी इन सब पुरातन विद्याओं व कलाओं को विस्मृत नहीं करते और अपने इतिहास की जुगाली करते रहते तो जिस तरह का वातावरण आज देश में बना हुआ ये कभी-भी नहीं आता और जो आ भी गया तो उसका बदला लेने तैयार होते न कि वो हमें हमारी ही होशियारी से मात देते तो आज शिवाजी जयंती पर हमें अपने इस सुपर हीरो की लाइफ स्टोरी से फिर यही सबक लेना है दुश्मन को ‘गनिमी कावा’ युद्धनीति से हराना है... जय हिन्द... जय भारत...  🇮🇳🇮🇳🇮🇳!!!     

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
फरवरी १९, २०१९

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

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