शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019

सुर-२०१९-४४ : #ये_शहादत_नहीं_हत्या_है #आतंकियों_की_कायरता_है




14 फरवरी 2019 को जब पूरा देश प्रेमोत्सव मनाने में मगन था जम्मू-कश्मीर के पुलवामा ज़िले के लेथपोरा में सीआरपीएफ़ के काफ़िले पर आईईडी धमाके के ज़रिये 40 से ज़्यादा जवानों से भरी एक बस को निशाना बनाया गया जिसमें देश के लगभग 38 जवान मारे गए और कई घायल हुए ये कोई एकदम से हुआ आक्रमण नहीं है इसके लिये हमारे ही देश के तथाकथित सेक्युलर, लिबरल, वामपंथियों, टुकड़े-टुकड़े गैंग, अवार्ड वापसी वाले बिके हुये बुद्धिजीवी, फेक मानवाधिकार संगठन और सेलेक्टिव मीडिया ने जमीन तैयार की जिस पर आतंकवादियों की एक पूरी-पूरी की पीढ़ी विस्फोटक फसल की तरह पककर फटने की दिशा में अग्रसर है

ये तो महज इसकी एक अन्य खेप जिसके माध्यम से यह संदेश या बोले तो उनकी तरफ से जारी किया गया युद्ध अलर्ट है और इस बार ये जंग आमने-सामने की नहीं है क्योंकि, वे जान चुके कि दो-दो हाथ करने या आर-पार की लड़ाई में भारतीय सेना से जीतना मुश्किल ही नहीं असम्भव है इसलिये इस बार उन्होंने ये आत्मघाती तरीका अपनाकर देश के इतने सारे वीरों को एक साथ मार दिया उन्हें अपनी वीरता प्रदर्शन या पराक्रम दिखाने का न तो अवसर या कोई चुनौती ही दी एकदम तेजी से आकर इस तरह से पूरी बस को उड़ा दिया कि वो नवजवान जो देश की सेवा करने और जरूरत पडने पर प्राण न्यौछावर करने की शपथ लेकर आये थे उनको वो मौका ही न मिला

इसमें जितने दोषी वो आतंकी समूह है उतने ही हम सब भी जो अपने आस-पास मुखौटा लगाकर रह रहे इन जिहादियों को पहचान नहीं रहे उनकी हरकतों, उनकी प्रतिक्रियाओं को अभिव्यक्ति की आज़ादी या धर्म निरपेक्षता का नाम देकर खामोश रह जाते जबकि, ये गहरी साज़िश जिसकी जड़ें भले पकिस्तान में मगर, शाखाएं यहां तक फैल चुकी है तभी तो जैश-ए-मुहम्मद (मुहम्मद की सेना) जिसने इस घटना की जिम्मेदारी ली उसके सरगना अफ़ज़ल गुरु की फांसी रुकवाने हमारे ही देश की बड़ी-बड़ी हस्तियां मैदान में उतर आती और जब यूं भी बात न बनती तो रात में कोर्ट खुलवा देती फिर भी फांसी हो जाती तो तुष्टिकरण के नाम पर उनकी लाश को उनके परिजनों के हवाले कर देने की गुजारिश करती फिर भी दिल की आग ठंडी न होती तो हर घर से अफजल निकलेगा कहने वाली युवकों की एक टोली तैयार हो जाती उसके बाद भी कहीं न कहीं ये बात खटकती रहती तो खत लिखकर उनके अवशेष मांगने धमकी भरे खत लिखे जाते जब उन पर भी कार्यवाही न होती तो इस तरह से अपनी बात रखी जाती है

याने कि मूल में जाकर देखे तो ये चंद लोगों का आतंकियों के प्रति प्रेम ही हमारे सैनिकों की मौत की वजह है इन्हें सर्जिकल स्ट्राइक झूठ लगती, राफेल सौदे में घोटाला नजर आता और सैनिकों को सुविधा देना सरकारी खजाने की बर्बादी लगती मगर, देश के इन गद्दारों को पालना-पोसना अहम जिम्मेदारी समझी जाती जिसके लिए इन्हें सरकार में खासमखास का दर्जा दिया जाता इनकी बुद्धिमता को खरीदने पुरस्कार बांटे जाते और अपने लिए लिखने पत्रकारों की फौज खड़ी की जाती जिससे कि गलत को सही साबित किया जा सके और जब जहां इनकी जरूरत हो वहां इन्हें अपने पक्ष में खड़ा कर के हुआँ-हुआँ चिल्ला सके झूठे दावे इतनी जोर और इतनी बार दोहराये जाये कि सच बनकर इतिहास में सदा-सदा के लिये दर्ज हो जाये जैसे कि अनगिनत मिथ्या भाषण भरे पड़े है

ऐसे में हम सबको काफी सतर्क-सजग होकर इन पर नजर रखनी होगी जिससे कि किसी भी माता-पिता को अपना पुत्र, किसी बहन को अपना भाई, किसी पत्नी को अपना पति और किसी बच्चे को अपने पिता के साये से मरहूम न होना पड़े जब भी कोई एक सैनिक शहीद होता साथ उसके न जाने उससे जुड़े कितने दूसरे लोग भी आहत होते जिनके दिल में उनकी स्मृति एक दर्द बनकर रह जाती उस पर जब गलत बयानी की जाती तो उनको कितनी तकलीफ पहुँचती होगी हम कल्पना भी नहीं कर सकते है सरकार व सेना तो अपना फर्ज पूरा करेंगी ही लेकिन, हमारा भी तो कर्तव्य बनता कि हम किसी के उकसावे में न आकर अपनी भाषा, जुबान पर संयम रखे और कोई भी भड़काने वाली बयानबाजी न करें देश के लोग भी जो भटके हुए है अब तो समझे कि ये देश सबका है इसे यूँ तोड़कर या यहाँ के लोगों को मारकर या यहीं के लोगों को आतंकी बनाकर उनसे ही अपने लोगों को मरवाने की साजिश का शिकार नहीं होना है

कोई मजहब का हवाला देकर यदि किसी को अपना मोहरा बनाकर ये कहता है कि किसी को मार देने से अमन-चैन स्थापित हो सकता है या अगला किसी दूसरे धर्म का होने की वजह से हमारा दुश्मन है तो इसका पुरजोर विरोध करे न कि उसके झांसे में आकर मानवीयता की हत्या करे सब कुछ जानते-बुझते भी जो अपने मज़हब को सब पर लाद देने की ख्वाहिश को पूरा करने खूनी षड्यंत्र रचते वो वास्तव में धार्मिक नहीं जेहादी है और उनकी ये सनक पूरी दुनिया को अपने मजहब से भर देने के बाद भी खत्म न होगी क्योंकि, जब कुछ न बचेगा तो ये अपने आप से ही लड़ेंगे उसके बाद भी जो इनकी बातों में आता वो कोई क्रांतिकारी या योद्धा नहीं बल्कि, अपने वतन का गद्दार है ऐसे देशद्रोहीयों को न तो कोई मज़हब और न ही कोई मुल्क ही बर्दाश्त करेगा या इनको याद करेगा हर कोई इनको हत्यारा ही कहेगा और जिस सबब के लिये ये जान देते इन्हें पता नहीं कि वो मरकर भी हासिल नहीं होता कि देशद्रोही को जन्नत नहीं दोज़ख ही हासिल होता है

हमारे सभी वीर सैनिकों को जो पत्थर खाकर भी मारने वालों की हिफाज़त करते है <3 से नमन और भावपूर्ण श्रद्धांजलि... जय हिन्द... वन्दे मातरम...
     
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
फरवरी १५, २०१९

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