गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019

सुर-२०१९-६० : #सरहद_लांघते_विरोधी_लोग #लगा_इनको_घातक_मानसिक_रोग




कल जब विरोधियों को ‘अभिनंदन’ की फोटो लगाकर अपने दुखी होने का अभिनय करते देखा तो उन पर गुस्सा आया कि जिस सपूत पर गर्व करना चाहिये उसे मजलूम बताकर सहानुभूति की लहर पैदा कर उसके सहारे खुद को भी उबार लेना चाहते है यहाँ तक कि कुछ ने तो शहीद के परिजनों के विडियो या पोस्ट डालकर बताया कि वे अपने घर के बेटों की शहादत की वजह से परेशान-बेहाल है इस तरह उन्होंने हर जायज-नजायज तरीके से सेना ही नहीं उनके परिवार वालों के मनोबल को तोड़ने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी आज मगर, जब पाकिस्तान की तरफ से ‘अभिनंदन’ की रिहाई का बयान आया तो उनको लगा कि उनका तो तुरुप का पत्ता ही बेकार गया उन्होंने तो कैंडल्स तक खरीद ली थी कि इनका प्रयोग कर सरकार पर जबर्दस्त तरीके से दबाब बनायेंगे पर, अफ़सोस पासा ही पलट गया अब क्या करें ? ऐसे में खुद को पराजित करना जिनको स्वीकार नहीं और न ही देश को आगे बढ़ते ही देख सकते तब इनके धूर्त दिमागों ने एक नई चाल सोची और सभी ने फिर एक सुर में कहना शुरू कर दिया कि ‘इमरान खान, तुमने तो हम सबका दिल जीत लिया तुम तो बुद्ध से भी बड़े आत्मज्ञानी और महात्मा गाँधी से भी बड़े अहिंसावादी निकले आय लव यू’

जिस-जिस तरह से ये अपने भीतर की भड़ास को निकाल सकते थे उस तरह से उन शब्दों में उसे व्यक्त किया तब अहसास हुआ कि जिन्हें हम अब तक महज़ देशविरोधी या राष्ट्रद्रोही समझ रहे थे दरअसल उनके दिमाग में ‘केमिकल लोचा’ है ये सब मानसिक रूप से बीमार, बहुत बीमार है ऐसे में इन पर क्रोध ज़ाहिर करने की जगह #Get_Well_Soon कहने की जरूरत ताकि, ये पूर्ण रूप से स्वस्थ हो और इन्हें ज्ञात हो कि ये भारत के निवासी है न कि पाकिस्तान के तब शायद, ये वही लिखें जो आम जनता लिख रही और फिर उनका दिया चश्मा उतारकर अपने नेत्रों से देख पाये कि इस मौके पर देश की जनता सेना के साथ खड़ी, उन पर विश्वास कर रही न कि उनसे सुबूत मांग रही और न ही इलज़ाम लगा रही और न ही दुश्मन खेमे की बातों पर यकीन कर अपनी ही सरकार पर तोहमत लगा रही जिस ‘इमरान खान’ को ये आज शांति का अवतार, संत घोषित कर रही उसके झूठ पल-पल सामने आ रहे और उसने जो ये निर्णय लिया उसके पीछे उसका हृदय परिवर्तन नहीं बल्कि, जेनेवा संधि और हमारी भारत सरकार व अंतर्राष्ट्रीय प्रेशर है

हकीकत यही कि कुत्ते की दुम सीधी हो सकती मगर, ये नहीं क्योंकि, इनका उद्देश्य तो केवल सरकार का विरोध करना तो उसके लिये शायद, ये कल को बगदादी को भी अपना दिल और वोट देकर देश की बागडोर सौंप दो पर, किसी भी हाल में ये न स्वीकार करेंगे कि ‘अभिनंदन वापसी’ में सरकार की भी कोई भूमिका है आपकी इस देशद्रोहिता को नमन जिसकी ट्रेनिंग किसी आतंकी से कम सख्त नहीं पर, फिर लगता कि आप तो उससे भी गये-बीते हो क्योंकि, वो भी अपने देश के लिये अपनी जान दे देता है एक आप हो जो देश बेच दो, उसका सर झुका दो पर, अपना सर न झुकने दो काश, जितनी नफरत आपके भीतर अपने देश की सरकार को लेकर है उतनी ही मुहब्बत आपने अपने देश से की होती और अपनी योग्यता इसको पीछे ले जाने की बजाय आगे बढ़ाने में खर्च की होती तो शायद हम शीर्ष में होते  हमसे बेहतर तो वो पाकिस्तानी भी है जो आज संसद में ताल ठोककर कह रहे कि वो एक है मगर, हम तो बंटे हुये जिसका फायदा हमेशा दुश्मनों ने उठाया और इतिहास गवाह कि हम तो सदा अपनों से ही छले गये, हमें अपनों ने ही लुटा तो हो सकता कभी आप लोग ही उसकी बर्बादी के कारण बनो अपने एजेंडे को सफल बनाने शत्रु से जा मिलो जिसका ईशारा आज आपने दे दिया है       
    
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
फरवरी २८, २०१९

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