शनिवार, 9 फ़रवरी 2019

सुर-२०१९-४० : #स्वीटनेस_ऑफ़_चॉकलेट_डे #मिटा_सकती_जनरेशन_गैप



दादी, ये लो चॉकलेट खाओ आज चॉकलेट डे है न इस ख़ुशी में...

पापा ‘अनुराग’ के साथ बाज़ार से घर आते ही नन्ही ‘वेदिका’ ने अपनी दादी माँ के सामने चॉकलेट बढ़ाते हुये बड़े लाड़ से कहा तो उसकी उन्होंने उसकी चॉकलेट को मुंह में न रख हाथ में पकड़ लिया और बोली...

तुझे पता है न मैं ये नहीं खाती तुम ही खाओ ये सब बेकार की चीजें और हम क्यों चॉकलेट डेमनाये हम तो लड्डू, जलेबी, इमरती, गुलाब जामुन, रसगुल्ला डे मनायेंगे वो हमारे देश की मिठाइयाँ है चॉकलेट उनकी बराबरी नहीं कर सकती

ओह माँ, आपके स्वभाव को जानते हुये ही वेदु ख़ास तौर पर पूरे बाज़ार से ढूंढकर आपके लिये हर्बल चॉकलेट लाई है प्लीज़ खा लो... माँ का जवाब सुनकर ‘अनुराग’ अपनी बिटिया के समर्थन में आगे आया

बेटा, तू क्यों नहीं समझता कि हर्बल हो या कोई भी मैं नहीं खा सकती हमारे ज़माने में तो हम कभी गोली, टॉफ़ी खा ले वही बहुत था और हमारे अम्मा-बाबूजी तो उसके भी खिलाफ थे कहते ज्यादा मीठा खाने की इच्छा हो तो गुड़ खा लो पर, इन सब बाजारी सामानों से बचकर रहना इसलिये तू मुझे माफ़ कर दे बेटा

तो दादी, इसे गुड़ समझकर ही खा लो ये दिखती भी तो वैसी ही है अचानक फिर से बीच में ‘वेदिका’ तपाक से आई और दादी से जिद करने लगी

अब तो खा लो माँ क्या आपके उसूल इस मासूम की ख़ुशी से भी बढ़कर है जिन्हें समझने की इसकी उमर नहीं अभी वो तो बस, इतना चाहती कि आप भी वो खाओ जो उसे पसंद जिस तरह वो आपके कहने से आपकी बनाई डिशेज खाती है

बस, इतनी-सी बात तो चलो हम सब मिल-बांटकर इसे खाते है और ‘वेदु’ का ‘चॉकलेट डे’ मनाते है मुस्कुराकर दादी ने कहा

दादी की बात सुनकर ‘वेदिका’ ने उनके मुंह में एक बाईट दी और उनके खाते ही ख़ुशी होकर जोर-जोर से तालियाँ बजाने लगी जिसे सुनकर किचन से उसकी मम्मी बाहर आ गयी और अपनी सास को चॉकलेट खाते देख सोचने लगी, “जो मुंह ही नहीं रिश्तों में भी मिठास घोले वो चॉकलेट अच्छी है”
     
#Third_Day_Third_Story
#Sweetness_of_Chocolate_day
#Seven_Days_Seven_Stories_Series    

_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
फरवरी ०९, २०१९

कोई टिप्पणी नहीं: