शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

सुर-२०१९-३३ : #लघुकथा_सरनेम




तुम ध्यान रखना चुनाव प्रचार में मेघनाके नाम के साथ उसके ससुराल वालों का नहीं अपने ही परिवार का सरनेम लगाया जाये नहीं तो अपने वोटर्स को समझने में दिक्कत होगी इतने सालों की मेहनत से हमने उनके दिमाग में अपने सरनेम की जो छाप बैठाई है उसे एक बार फिर से भुनाने का समय आ गया है । साथ ही प्रचार के पोस्टर्स भी कुछ इस तरह से बनाने को बोलना जिससे जनता के बीच ये सन्देश जाये कि इस बार के इलेक्शन में उनकी लगातार मांग को देखते हुये और उनकी इच्छा का सम्मान करते हुये ही हमने अपनी बिटिया को मैदान में उतारा है । ये भी सबको पता चलना जरूरी है कि वो केवल देश की खातिर ये त्याग करने को तैयार है हमें इस तरह से उसको लांच करना है कि लगे जैसे हम नहीं चाहते फिर भी अपने कार्यकर्ताओं की खातिर ये कर रहे है । अपने बेटे को जरूरी निर्देश देते हुये शांति देवी ने लगभग दो-तीन बार हर एक बिन्दु को दोहराया ताकि कोई भी अहम बात छुट न जाये ।   

उतने में अंदर से बहु आई और बोली, मम्मी ये सब ठीक नहीं लगता उनके परिवार वालों ने आपत्ति जताई कि अब तक तो वो उनके नाम से जानी जाती थी अब अचानक हम अपने मतलब के लिये ऐसा कर रहे तो प्रोब्लम भी हो सकती है ।

बहु, तुम कुछ नहीं जानती विदेश में जो पली-बढ़ी हो हमारे यहाँ राजनैतिक हित साधने के लिये ये सब चलता रहता है वो तो उल्टा खुश ही होंगे कि आखिर, हमने उसे अपने फैमिली के पुश्तैनी काम-काज में शामिल किया है ।

तभी उसके भीतर बरसों पहले दफन की गयी उसकी पुरानी रॉकस्टार छवि ने कहा, ओह, आज समझी कि क्यों आपने मुझे मेरा सरनेम नहीं लगाने दिया जबकि, विदेश में उसी से मेरी पहचान थी जिससे आकर्षित होकर आपके बेटे ने मुझसे शादी की थी 

आज वो समझ गयी पॉलिटिक्स में सरनेम भी एक हथियार है ।
      
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
फरवरी ०२, २०१९

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