सोमवार, 2 फ़रवरी 2015

सुर-३३ : "जिंदगी... एक बार ही मिलती...!!!"


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मित्रों...,

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कभी-कभी
ये जिंदगी भी
परेशां हो जाती हैं
रोजमर्रा की दौड़-भाग से
और चाहती मिल जाये दो घड़ी फ़ुर्सत की ।।
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आज के ज़माने में तरक्की के साथ-साथ जीवन की रफ़्तार भी बहुत तेज हो गई हैं एकदम 'जेट विमान' की तरह जिसकी वजह से दूसरों के साथ बैठकर बतियाना तो दूर ख़ुद से मुलाकात तक के लिये इंसान के पास वक़्त नहीं होता । सब अपनी-अपनी मंजिल की तलाश में भागे जा रहे हैं अनवरत अपने में रत दूर न जाने कहाँ और एक दिन चलते-चलते इतने आगे निकल जाते कि जब पीछे मुड़कर देखते तो अपना साया भी नज़र नहीं आता केवल आदमी अपने आप के साथ अकेला रह जाता हैं । इस व्यस्तता भरी ज़िंदगी में अक्सर मन में ये ख्याल आता हैं कि काश, इतने लम्बे-लम्बे दिनों में से, इतने बड़े-बड़े बरसों में से, इतनी चौड़ी सदियों से चंद केवल चंद नन्हे-नन्हे क्षण मिल जाते जिसमें सचमुच इस बेशकीमती जिंदगी को जी पाते जो पता नहीं 'मृत्यु के पार' फिर मिलेगी या नहीं । जीने के लिये हमें गिनती के जो लम्हें मिले हैं वो खत्म होने से पहले हमें 'मोबाइल की बेटरी' के खत्म होने की तरह दिमाग के पटल पर कोई संदेश भेजकर सूचित तो करेंगे नहीं कि हम फिर अपने आपको 'रिचार्ज' कर ले और दुबारा तरोताज़ा होकर इसे जी ले बल्कि ये तो केवल एक 'बेट्री' के साथ मिली हुई देह हैं, वो भी अनिश्चित जो न जाने कब अचानक खत्म हो जाये ।

ऐसे में हर दिन से केवल दो-चार पलों को सिर्फ़ और सिर्फ अपने लिये हमें बचाकर रखना ही चाहिये चाहे फिर वो अलसभोर के शुरुआती ताज़गी से भरे क्षणिक पल हो जिसमें हम अपने सपनों के बारे में सोच सके या फिर हम रात में सोने से पहले के थके-मांदे पलों को ही समेट ले जिसमें दिन भर की बातों को याद कर ले जिसमें कहीं न कहीं तो कोई हंसी या ख़ुशी की कोई बात मिल ही जायेगी न भी मिले तो अपनी ही कोई गलती समझ में आ जायेगी जिसे हम भविष्य में फिर न दोहरायेंगे या फिर पूरे दिन में से ही कोई भी ऐसा समय जो हमें अच्छा लगता हो से अपने लिए आरक्षित कर रख ले जिसमें हमारे सिवाय कोई भी न हो ये बिलकुल 'मोबाइल फोन' की 'बेट्री चार्ज' करने जैसा अनुभव होगा जिसके बाद हम अपने भीतर कुछ नयापन महसूस होगा । कहते हैं कि हर इंसान के लिये पुरे चौबीस घंटो में एकाध हिस्सा ऐसा होता हैं जिसमें वो खुद को सर्वाधिक ऊर्जावान महसूस करता हैं जिसकी वजह से वो सभी काम फटाफट कर लेता हैं और ये हर एक का अलग-अलग होता हैं तो आप सब भी अपने उस समय को झटपट तलाशिये और फिर उसे ही अपने सभी कामों के अलावा अपनी निजता के लिये भी सुरक्षित रख लीजिये क्योंकि इसमें आप अपनी क्षमता से बढ़कर काम कर सकते हैं और इसका पता लगाने का सही तरीका हैं कि आप एक पूरे  दिन ख़ुद पर नज़र रखे और देखें किस वक़्त आप खुद को बहुत उत्साहित पाते हैं तो बस वही आपका अपना समय हैं ।        

हम यदि सिर्फ सोचते ही रहेंगे तो कभी भी इसे अंजाम न दे पायेंगे इसलिये जल्दी-से-जल्दी जुट जाये अपनी तलाश में जो उतनी मुश्किल भी नहीं जितनी नज़र आती हैं जिसकी वजह से आप इस दिशा में अपना कदम आगे बढ़ा नहीं पाते और उतनी आसान भी नहीं जितना आप सोचते हैं कि जब जी चाहे जी लेंगे अपनी जिंदगी... ये तो बेमियाद बिना किसी पूर्व सूचना के कभी भी खत्म हो जाने वाली 'वन टाइम' मिलने वाली खुदाई देन हैं जिसे चाहे तो मुफ़्त में 'टाइमपास' कर गंवा दे और यदि चाहे तो इन अनमोल पलों से अपने साथ-साथ दूसरों के भी कुछ पल महका दे... फैसला आपका आखिर जिंदगी हैं आपकी... जो एक बार ही मिलती... ऐसा न हो बाद में आप भी यही गाते रह जाये... जिंदगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मुक़ाम वो फिर नहीं आते... वो फिर नहीं आते... :) :) :) !!!  
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०२ फरवरी  २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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