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मित्रों...,
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आज...
सुबह से
शाम तलक
ढूंढा सारा बाज़ार
नहीं मिली किसी दूकान
ऐसी 'चॉकलेट' जिसमें हो प्यार ।
.....
फिर,
खरीदी वही
जिसके सब थे खरीददार
बस, उसमें अपनी तरफ से मिलाया
थोड़ा-सा ‘प्यार’ का अहसास
और बाँट दी वो सारी उन
सबको
जो थे इसके सच्चे हकदार
तलबगार ।
.....
रोज,
ताकते थे दूर से
वो गरीब बच्चे जो थे अंजान
कि होता हैं ऐसा भी कोई
दिवस
जिसमें बड़े बच्चों की
पसंदीदा चॉकलेट खाते
पर, आज इसे खाकर सब नाचे मस्ती में झूमकर ।।
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आज 'प्रेम
सप्ताह' में चहुँ और 'चॉकलेट डे' मनाया जा रहा हैं और ये दुनिया हो या वो दुनिया हर कोई या
तो एक दूसरे को कोई 'चॉकलेट' दे रहा हैं या फिर अपनी
वाली दिखाकर जला रहा हैं यहाँ तक कि कोई-कोई बेचारा तो गुहार भी लगा रहा हैं कि
अमां यार दोस्ती का ही सही भरम तो रख लो प्रेम न सही 'चॉकलेट' ही दे दो । ऐसे 'चॉकलेटमय वातावरण' में हमारा दिल भी न, ‘चॉकलेट’... ‘चॉकलेट’ हो गया और लगे सोचने कि इसमें ऐसा क्या हैं जो इसके नाम पर
पूरा का पूरा एक दिन ही समर्पित कर दिया कि मनो सारा दिन इसे ही खाते रहो और कुछ न
मिलेगा खाने को । क्या वाकई कोई पूरे दिन सिर्फ इसे खाकर रह सकता ये तो खैर, कोई 'चॉकलेट' प्रेमी ही बता सकता हैं, हम तो
केवल इतना ही जानते हैं कि आज 'लव पैकेज' का थर्ड आइटम यही 'चॉकलेट डे' हैं । ये भी इस बाजारवाद का फैलाया प्रचार-प्रसार हैं कि ‘चॉकलेट’ प्रेम सम्बन्धों को मजबूत करता हैं इसमें मिलाये गये तत्व
प्रेमियों के अंदरूनी रसायन जिसे कि 'हर्मोन' कहते हैं के स्तर को संतुलित करता हैं जैसे कि 'रक्तचाप' को नियत्रिंत करने दवाई ली जाती हैं वैसे ही 'प्रेमदबाब' को सामान्य रखने इसका सेवन जरूरी हैं । यहाँ तक कि उन्होंने
तो शौध से ये भी सिद्ध कर दिया कि अवसादग्रस्त मनुष्य यदि इसे खाये तो बेहतर महसूस
करता हैं अब चूँकि उन्हें तो अपना माल बेचना हैं तो उसकी खूबियाँ भी तो बतानी
पड़ेगी या नहीं तो उन्होंने सबके दिलों दिमाग में ये बात बिठा दी कि इसे खाना सेहत
के लिये अच्छा हैं । जैसा कि कहते हैं कि सौ बार बोलो तो झूठ भी सच बन जाता हैं और
इस काम में तो मीडिया को महारत हासिल हैं तो अब झूठ हो या सच पर, ऐसा कहते हैं कि 'चॉकलेट' खाना अच्छी बात हैं तो आज सबने इसे खाकर इस दिन की मान्यता
को टूटने नहीं दिया ।
हमारे यहाँ किसी भी अच्छे
या शुभ काम की शुरुआत मीठा खाकर या खिलाकर की जाती हैं तो मार्किट ने हमारी इस
परंपरा को भी अपना सामान बेचने का जरिया बना लिया और एक विशेष ‘चॉकलेट’ के साथ ये जुमला फिट कर दिया कि ‘कुछ मीठा
हो जाये’ और झट अगले के दिमाग में उस ‘खास चॉकलेट’ की तस्वीर बन जाती और अब वो लड्डू, पेडा, बर्फी, रसगुल्ला या गुलाब जामुन की जगह इसे ही मीठे का पर्याय
मानने लगा । भले ही माता-पिता कुछ कहे उसे तो जब आप ये देंगे तभी वो मानेगा कि उसे
'मिठाई' दी गई हैं मतलब कि बड़ी
चतुराई से हमारे मिष्टान्न को परे धकेलकर इसे तश्तरी में सजाया जाने लगा यहाँ तक
कि अब तो हमारे कोई भी उत्सव या त्यौहार हो सबमें इसे शामिल कर दिया गया हैं । ये
नई पीढ़ी जो वैसे भी कुछ पकाना नहीं चाहती 'रेडी टू इट प्रोडक्ट्स' में विश्वास करती हैं उसके लिये ये विकल्प बड़ा काम का साबित
हो रहा हैं शायद, आने वाले समय में लोग चॉकलेट को ही एकमात्र मीठा माने और
हमारे यहाँ कि सभी मिठाइयों में दोष बता-बताकर उन्हें बाहर का ही रास्ता दिखा जाये
क्योंकि भारतीय पकवानों में तो 'हाई केलोरी',
'फैट', 'सुगर' और राम जाने क्या-क्या
नहीं होता जो युवाओं को मोटा, आलसी और बीमार बना सकता
हैं लेकिन 'चॉकलेट' में ऐसा कुछ भी नहीं होता
तो आप बिंदास इसे खाओ और लड्डू देखकर मुंह बनाओ या कोई जबरदस्ती खिलाये तो
जर्रा-सा कोना तोड़ने का दिखावा कर लो पर कोई ‘चॉकलेट’ दे तो गपागप पूरी खा जाओ सेहतमंद बन जाओगे तो ये हैं वो
महत्वपूर्ण रहस्य जिसने इस मुई ‘चॉकलेट’ को सबके सर पर बिठा दिया हैं । इसलिये इस भारत देश में
अलग-अलग प्रान्त-प्रदेश की इतनी तरह-तरह की मिठाइयाँ होने के वाबजूद भी किसी के भी
नाम पर कोई दिन नहीं मनाया जाता सब फ़ैल हो गये इस कमबख्त ‘चॉकलेट’ के आगे अब तो टी.वी. पर दिखाते कि कोई भी शुभ काम हो, परीक्षा का वक़्त या नौकरी का साक्षात्कार बस, चॉकलेट खिलाकर शगुन पूरा कीजिये 'मीठा
दही' खिलाने की कोई जरूरत नहीं बढ़िया ही हैं क्योंकि उसमें तो 'बेक्टीरिया' होते हैं लेकिन चॉकलेट एकदम शुद्ध साफ़ जिसमें कभी गलती से
कीड़े पड सकते हैं पर उससे बनती तो नहीं दही की तरह :p ।
जब वातावरण में चारों तरफ
घुली हो ‘चॉकलेट’ तो उसके सिवा कुछ और दिखाई
या सुनाई भी किस तरह से दे तो उस स्वास्थ्यवर्धक अनगिनत गुणों से भरपूर ‘चॉकलेट’ के साथ सभी लोग इस दिन को मनाइये और अपने या अपनों को भले
ही ‘चॉकलेट’ न खिला सको... तो कम से कम
प्यार के दो मीठे बोल ही बोल दे इससे ज्यादा जादू दुनिया की किसी भी और चीज़ में
नहीं होता जो होते तो बेमोल हैं लेकिन किसी दूसरे के लिये बन जाते अनमोल हैं...
इसलिये जब भी देखे अपने किसी भी प्रिय के चेहरे पर शिकन तो यही ‘लव
चॉकलेट’ उसे दे दे जिसे खरीदने के लिये कहीं भी जाने की जरूरत भी
नहीं ये तो आपके भीतर ही हैं... दुनिया में प्यार से बोले गये शब्दों और स्नेह के
स्पर्श से बड़ी कोई भी औषधि नहीं जो गहरे से गहरे हृदय के जख्म को भी एक पल में
राहत दे देती हैं... शायद, इसी ‘चॉकलेट’ की बात कहता हो ये प्रेमोत्सव पर लोग देते वो जो बाज़ार में
बिकती हैं... हम तो आप सबको इसी ‘चॉकलेट डे’ की शुभकामना देते हैं... अपने प्रेम के अल्फाजों के सहित...
:) :) :) !!!
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०९ फरवरी २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह “इन्दुश्री’
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1 टिप्पणी:
A beautiful and relaxing week!
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