बुधवार, 4 फ़रवरी 2015

सुर-३५ : "आभासी दुनिया... ज़ादू की पुड़िया...!!!"


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मित्रों...,

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बदला जमाना
बदल गई तकनीक
रिश्ते निभाने बनी नई रीत
फेसबुकबन गया हर एक का मीत
जाने-अनजाने सबके बीच बढ़ने लगी प्रीत ।।
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इस सदी को कंप्यूटरऔर तकनीकी युगका नाम दे देने भर से ही स्वयं इसकी महत्ता स्पष्ट हो जाती हैं और नित होने वाले नवीन अविष्कारों और गेजेट्सके आने से दुनिया हर पल और अधिक स्मार्टहोती जाती हैं । जिसकी वजह से आपसी ताल्लुकात भी अब पुराने जमाने के तरीकों से निभाने की जगह उनके लिये भी नये-नये यंत्रों का अविष्कार कर लिया गया हैं ताकि व्यक्ति दुनिया के किसी भी कोने में हो पर वो अपनों के बीच होने के अहसास को महसूस कर सके । इसी आभास को बरकरार रखने के लिये कुछ लोगों ने एक ऐसे माध्यम को तैयार किया जो कहने को तो तरंगों के रूप में हवाओं के सूक्ष्म कणों से बना एक हवाई महलहैं लेकिन जहाँ सब एक-दुसरे से न सिर्फ़ दोस्ती कर सकते हैं बल्कि अपने संकोची स्वाभाव या किसी कमी की वजह से यदि खुद को सबके सामने प्रस्तुत करने में हिचक रहे हो तो बिना किसी झिझक सारी दुनिया को अपने हूनर से परिचित करवा अपनी एक पहचान बना सकते हैं ।

इसलिये इस तरह से एक काल्पनिक जगत ने जन्म लिया जिसे कि हमने आभासी दुनिया’ / ‘सोशल मीडिया’ / ‘सोशल साइट्स’ / ‘वर्चुअल वर्ल्डऔर न जाने क्या-क्या नाम दिया लेकिन इसकी सशक्त उपस्थिति और इसके हमारे जीवन में महत्व को हम इतने हल्के रूप में नहीं दर्शा सकते क्योंकि वो कोई आभासनहीं बल्कि एक वास्तविक अनुभवहैं जिसने न जाने कितने लोगों को आपस में मिलवाया, न जाने कितने अधूरे ख्वाबों को पूरा करने एक मंच प्रदान किया, न जाने कितने अवसादग्रस्त लोगों को फिर जीना सिखाया और न जाने कितने नये रिश्तों को जनम दिया । ऐसे में इसे महज़ मनोरंजन का साधन / टाइमपासकरने का जरिया या एक आभासी संसारकहना इसकी उपयोगिता और इसके महत्व को कम करके आंकना हैं क्योंकि भले ही ये हमारी सच्ची-मुच्ची की दुनिया की तरह रिश्तों की ऊष्मा, नजदीकी छुवन, सर पर आशीष का हाथ, रोने को कांधा, गर्मा-गर्म खाना या साथ चलने का अहसास नहीं देती लेकिन तन्हां भी तो महसूस नहीं होने देती शायद इसलिये उस तकनीकी युग में तन्हाईकी परिभाषा भी बदल गयी हैं अब कोई आदमी खुद को तब तन्हा या अकेला महसूस करता हैं जब उसके मोबाइलकी बेट्रीखत्म हो जाती हैं या उसका नेटपैकबंद हो जाता हैं ।

ये सब विज्ञान की आधुनिक ख़ोज और तकनीक का कमाल हैं जिसने हमें इतनी सारी सौगातों  से नवाजा हैं और जैसा कि हम सब जानते हैं कि विज्ञान यदि वरदान हैं तो अभिशाप भी हैं जो कि हमारी अपनी सोच और हमारे द्वारा इसके उपयोग किये जाने से ही निश्चित होता हैं । इसलिए यहाँ भी सब तरह के लोग और कारनामे नज़र आ रहे हैं यहाँ तक कि इसकी वजह से अपराध जगत को भी अपने हथकंडे अपनाने के लिये किसी जगह जाने की जरूरत नहीं वो भी अपने स्थल से ही इसे अंजाम दे रहा हैं लेकिन थोड़ी-सी सावधानी और सजगता से हम खुद को इनके चंगुल में फंसने से बचा सकते हैं और अपनी निजता की रक्षा भी कर सकते हैं क्योंकि हमारी नादानी और गलतियों का खामियाज़ा ही हमें किसी बुरे रूप में भुगतना पड़ता हैं । शायद, इसलिये अब इसके साथ सुरक्षा के भी कई इंतजाम जुड़ गये हैं जिनकी जानकारी से हम सब अपने आपको किसी अपराधी का शिकार होने से बचा सकते हैं और इसके लिये फेसबुकहमें कई सारी सुविधाएँ प्रदान करता हैं ताकि हम अपने आंकड़ों और जरूरी दस्तावेजों को चोरी होने से बचा सके और अपने मौलिक सृजन पर भी अपना अधिकार जता सके इसके लिये भी उसने यहाँ कॉपीराइटका प्रावधान किया हैं । ये और बात हैं कि जिन्हें सिर्फ कॉपी’-‘पेस्टकरना हैं वो तो हर हाल में ये कर लेते हैं लेकिन हम अपनी रचनाओं पर अपना दावा प्रस्तुत कर सकते हैं जिसके लिये हमारे पास उससे संबंधित पुख्ता जानकारी होना चाहिये खैर ये ही वो सब छोटी-छोटी बातें या खामियां हैं जिनका जिक्र कर लोग इसे कमतर बताने से नहीं चूकते लेकिन यदि आपको अपने आप पर विश्वास हैं तो आपके लिये यहाँ पूरा मैदान हैं ।

आज हम सबके इस प्रिय फेसबुकका जन्मदिन हैं और हम सब इसके शुक्रगुज़ार हैं कि इसने हम सबको आपस में जोड़ने के लिये इतना सहज-सरल और कई सुविधाओं से युक्त ऐसा सशक्त प्लेटफार्मदिया कि जिस पर खड़े होकर सारा ब्रम्हांड ही एक जगह दिखाई देता हैं और हम सब भी कहीं जाये बिना ही न जाने कितने लोगों से राब्ता बना सकते हैं केवल हमें यहाँ भी अपनी ही रूचि के और अच्छे लोगों को तलाश करना हैं फिर देखिये किस तरह आपका अपना एक व्यक्तिगत कोनाबनता हैं जिसमें सिर्फ आप और आपके वे चुनिंदा दोस्त होंगे जिनको आप अपने इस दायरे में रखना चाहते हैं और यदि आप इसे अपनी कला को ज़ाहिर करने का पर्दा बनाना चाहते हैं तो खुद बन जाइये अपनी फिल्मों के निर्देशक, नायक / नायिका, लेखक और दिखाइये दुनिया को अपनी बहुमुखी प्रतिभा और यदि कोई कमी हैं तो उसे निखारने ढूंढ लीजिये कोई सच्चा सलाहकार कहने का मतलब कि सब कुछ हैं यहाँ केवल आपके ढूँढने और इसकी वास्तविकता को समझने में कमी हो सकती हैं तो चलो हम सब मिलकर अपने इस अज़ीज को कहे जन्मदिन मुबारक जिसके कारण आज हम सब एक दूसरे से मिल सके... बधाई हो... बधाई हो... आज ही वो शुभ घड़ी आई... जो हम सबको एक साथ लाई... <3 से बधाई... :) :) :) !!!
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०४ फरवरी  २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री

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