मंगलवार, 3 फ़रवरी 2015

सुर-३४ : "कहानी : सियासत आजकल" !!!


चुनाव प्रचार चरम पर था जिसकी वजह से हर जगह नेताओं की चुनावी रैली, रोड शो और भाषण का कार्यक्रम जोर-शोर से चल रहा था, जिसमें हर कोई एक-दूसरे को कमतर सिद्ध करने में लगा था रोज ही हर दल कोई-न-कोई मुद्दा निकलकर सामने वाले को झूठा साबित कर देता जिससे कि वो बौखलाकर उसकी पोल-पट्टी खोल देता आखिर हर दल में दूसरे दल से आया कोई दल-बदलू शामिल था, जो ‘विभीषण’ की तरह अपने साथ पुरानी पार्टी के कई राज़ भी लेकर आया था जिससे और कुछ तो नहीं लेकिन ये जरुर सब जान गये थे कि उपर से भले ही चोला कोई हो नाम या कोई भी हो लेकिन अंदर वही कचरा भरा हैं फिर भी बेचारी जनता करें क्या किसी को तो वोट देना हैं तो वो तो देती हैं लेकिन आप इन सब बातों से उब चुकी हैं इसलिये जब भी कोई नया नेता या पार्टी मैदान में आती तो उसकी उम्मीदें भी जाग जाती और वो उसे ही सर आँखों पर बिठा लेती

आज भी ऐसे ही एक तथाकथित ईमानदार और स्वच्छ छवि का दावा करने वाले नये-नये नेता बने साथ ही एक बड़े विद्वान् के रूप में मशहूर पहले-पहल राजनीति को कीचड़ कहकर फिर उसमें ही छलांग लगाने वाले नवगठित दल के नेताजी का भाषण चल रहा था---  

“आज तो विपक्ष ने हद ही कर दी जो हमारे प्रेरणास्त्रोत और राष्ट्र के पिता को ही नकार दिया वो किसी भी पार्टी की प्रॉपर्टी नहीं जो हम उन्हें किसी दल विशेष से जोड़कर संबोधित करें उन्हें सम्मान न दे बल्कि मैं तो कहूँगा कि हमें ये अधिकार हैं कि हम किसी को नापसंद करें या किसी से नफ़रत करें या उसके प्रति अपने मनोभावों का खुला प्रचार भी करें लेकिन जब सामने वाले का कद आदमकद हो साथ-ही उसने अपने सत्कर्मों से आपको सिद्ध कर दिया हो तो कम से कम हम सबके भीतर सोचने का स्तर इतना तो हो कि हम पहले खुद को अपने कर्म से उसके समकक्ष खड़ा कर सके उसके बराबर के बन सके तब उसके ऊपर आक्षेप लगाये या उस पर ऊँगली उठाये क्योंकि ये तो सामान्य मानवीय प्रवृति हैं कि इंसान जब खुद कुछ नहीं कर पाता तो वो अगले की लकीर को काटकर अपनी बड़ी बना लेता हैं । इसलिये मैं विपक्ष के बारे में इतना ही कहूँगा कि वो मुझसे घबरा रही हैं इसलिये मेरे बारे में भ्रामक जानकारी फैला रही हैं अब फ़ैसला आप जनता के हाथ में हैं कि वोटिंग के दिन दूध का दूध और पानी का पानी कर दे और हमारी पार्टी को स्पष्ट बहुमत देकर विजयी बनाये” ।

भाषण के बाद शाम को नेता अपने चमचों के साथ बैठ कर अगले कदम की तैयारी कर रहे थे कि तभी उनके बीच दौड़ता हुआ एक कार्यकर्ता आया और बोला कि---“हमारी योजना कामयाब हो गई उन्होंने हमारी पार्टी से गये सभी लोगों को अपनी पार्टी में ले लिया हैं जिसकी वजह से जनता की पूरी सहानुभूति हमारे साथ हैं और ‘मीडिया’ भी हमें पूरा कवरेज दे रही हैं । आप तो ‘मास्टरमाइंड’ निकले अब हमें जीतने से कोई भी नहीं रोक सकता सिर्फ़ एक हार ने ही आपको थोड़े ही दिनों में घाघ राजनीतिज्ञ बना दिया मान गये आपके दिमाग को” ।

नेता बोले---तुम अभी भोले हो ये राजनीति नहीं समझते इसलिये चुपचाप सारा खेल देखते रहो आगे-आगे होता हैं क्या और किस तरह हम जीतने के बाद अपने सभी साथियों को वापस ले आयेंगे फिलहाल उन्हें वहां मौज करने दो।     

कार्यकर्ता आश्चर्य से मुंह खोले देखता ही रह गया उस आदमी को जिसे पहले न सिर्फ राजनीति से चिढ़ थी बल्कि इसके दांव-पेंच भी समझ नहीं आते थे और अब थोड़े ही दिनों में वो तो एकदम ‘एक्सपर्ट’ बन गये वाह, क्या चाल चली हैं कि विपक्ष भी धोखा खा गया और जैसे नेताजी ने प्लान बनाया था बिलकुल वैसा ही हुआ उन लोगों ने ‘मीडिया’ में सभी के बीच आपसी मतभेद का खूब प्रदर्शन किया और सबने समझा कि उनके बीच झगड़ा हो गया हैं इसलिये जब वो सभी इस पार्टी से निकले तो सामने वाली पार्टी ने उन्हें हाथों-हाथ ले किया

उसने इस सबक को भी तुरंत अपनी व्यक्तिगत ‘डायरी’ में नोट कर लिया कि, सिर्फ़ युद्ध और प्रेम में ही नहीं राजनीति में भी सब कुछ जायज़ हैं, यहाँ सबके हाथी की तरह खाने के और दिखाने के अलग-अलग दांत होते हैं, कथनी और करनी में हमेशा अंतर होता हैं, थूककर चाटना और जरूरत पड़ने पर दुश्मन को गले लगाने का कमाल का पैंतरा हमेशा काम करता हैं और इस क्षेत्र में आने के लिये व्यक्ति को गिरगिट से भी तेजी से रंग बदलने की कला में माहिर होना चाहिये, बगुले की भांति सब्र से काम लेना चाहिये, तेंदुए की तरह शिकार करना आना चाहिए, बिल्ली की तरह दबे पाँव आना चाहिये जनता की दुखती नब्ज, अपने संविधान की जानकारी और आधुनिक तकनीक के ज्ञान के साथ-साथ यदि आज के समय में ‘मीडिया’ को अपनी तरफ आकर्षित करने का हुनर आ जाये तो आधा काम तो ऐसे ही बन जाता हैं

धीरे-धीरे वो समझ गया कि यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं और न ही कोई भी किसी का हैं बल्कि  एकमात्र ‘कुर्सी’ के प्रति निष्ठा होना जरूरी हैं, पहले उसे पाने और फिर बचाने के सारे रहस्य वो इन चार सालों में अपने घाघ नेता से सीख अपनी ‘डायरी’ में दर्ज कर चुका था इस तरह अब वो भी पक्का सियासतदां बन चुका था
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०३ फरवरी  २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री

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