मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

सुर-५५ : "तलत महमूद की आवाज़... जैसे बजता हो कोई साज़...!!!"

ख़ुदा
सबको ही 
बख्शता नहीं
ख़ास नेमतें अपनी ।
.....
कुछ ही होते
जिन्हें बनता सबसे हट के
और... वही समझते अंतरपीड़ा सबकी ॥
------------------------------------------●●●

___//\\___ 

मित्रों...,

हैं सबसे मधुर वो गीत जिन्हें, हम दर्द के सुर में गाते हैं...
जब हद से गुज़र जाती है खुशी, आँसू भी छलकते आते हैं...

कभी सुना हैं शाम ढले इस नगमे को यदि हाँ तो तभी समझ पायेंगे आप उस हस्ती को जिसका आज जन्मदिन हैं और जिसने अपनी विशेष गायिकी से हर किसी को अपना मुरीद बनाया और हर गीत, गजल या नज़्म जो भी उसने एक बार गाया उसे फिर सुनने वाला नहीं भूल पाया क्योंकि उसकी उस अलग हट के वाली आवाज़ में थी कुछ ऐसी कशिश कि जो भी एक बार उसे सुनता बस, आँख बंद कर उसके सुर-ताल के उतर-चढ़ाव के स्वर समंदर में इस तरह से डूबता-उबरता कि फिर स्वर भले ही बंद हो जाये लेकिन उसके अंदर अहसासों का ज्वर जो उमड़ता तो फिर आसानी से न थमता बल्कि कभी-कभी तो अंतस के जज्बातों का लावा आँखों के रास्ते से बाहर निकल आता और सुनने वाला खुद को बड़ा हल्का पुरसुकून महसूस करता तभी तो शायद, संगीत को भी दर्द-ए-दिल का मरहम कहा गया हैं और इस तरह दूसरे के रंजो-गम को अपनी मौशिकी से बहा ले जाने वाला भी तो किसी हकीम से कम नहीं जो बिना किसी कडवी दवा या आराम या किसी टीके को लगाये ही आपकी पीड़ा को कम कर देता आपको लगता जैसे उसने आपके अनकहे-अनसुने जज्बों को अपनी आवाज़ दे दी हो इसका अंदाज़ा केवल उसी को हो सकता हैं जिसको संगीत से प्यार हैं जिसने संगीत के सुरों को धडकन की ताल पर धक-धक करते सुना हो जिसके हर काम में हर बात में बल्कि कहूँ कि रग-रग में वो इस तरह से बस गया हो कि हर काम के साथ उसका होना जरूरी महसूस होता हो कभी अपनी पसंद की मद्धम स्वर लहरियों के साथ कोई काम कर के देखें कोई भी सृजन चाहे फिर वो लेखन हो या चित्रकला या फिर खाना बनाना ही उसका परिणाम देखकर आप स्वयं चकित रह जायेंगे कि ये जो भी आपने रचा वो अद्भुत हैं बशर्तें वो संगीत कानफोडू या आपके मन को व्यथित करने वाला नहीं बल्कि राहत देने वाला हो तभी आप इस अनुभूति को पा सकेंगे और उसकी अनुपस्थित को पाकर कुछ अनमना-सा पायेंगे अपने आप को क्योंकि जब कोई भी शय जो आपको सुकूं देती हो यदि आपके आस-पास न हो तो भले ही आप ये न जान पाये लेकिन आपकी रूह इसे भांप लेती हैं और उसकी बेचैनी आपके मिज़ाज को अपने आप ही चिडचिडा बना देती हैं ।

रात ने क्या-क्या ख्वाब दिखाये...
रंग भरे सौ जाल बिछाये...
आँखें खुली तो सपनें टूटे रह गये गम के काले साये...

तलत महमूदजिस शख्सियत का नाम था उसे खुद नहीं पता था कि उसे रब ने किस कदर अलहदा खुबसूरत गले से नवाज़ा हैं उसे तो नायक बनने की तमन्ना थी लेकिन ये तो उसके गाये गीत-गजलों का असर था कि जब उन्होंने ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमारके लिये गाने गाये तो पर्दे पर अभिनय करते दिलीप साहब को देखकर कोई ये नहीं कह सकता था कि ये उनकी आवाज़ नहीं हैं इस तरह एक समय ऐसा आया कि वो रुपहले पर्दे पर दिलीप साहबकी आवाज़ का पर्याय बन गये और उनके लिये कई नगमें गाये जो सभी एक-एक कर सुपरहिट होते गये क्योंकि जो ख़ुद अदाकारी का सम्राट था जब उसने इस स्वर को साधा तो कुछ नायाब गीत रचे गये---

●...शाम-ए-गम की कसम आज ग़मगीन हैं हम
.....आ भी जा... आ भी जा..... आज मेरे सनम... 
●...ऐ मेरे दिल कहीं और चल
.....गम की दुनिया से दिल भर गया...
.....ढूंढ ले अब कोई घर नया...
●...कहाँ हो... कहाँ... मेरे जीवन सहारे
.....तुझे दिल पुकारे...
●...एक मैं हूँ एक मेरी बेकसी की शाम हैं
.....अब तो तुझ बिन जिंदगी भी मुझ पे एक इल्ज़ाम है...
●...मिलते ही आँखें दिल हुआ दीवाना किसी का
.....अफ़साना मेरा बन गया, अफ़साना किसी का...   
●...ये हवा ये रात ये चांदनी तेरी एक अदा पे निसार हैं
.....मुझे क्यों न हो तेरी आरजू तेरी जुस्तजू में बहार हैं...
●...ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहाँ कोई न हो
.....अपना-पराया मेहरबां नामेहरबाँ कोई न हो...
●...कोई नहीं मेरा इस दुनिया में आशियाँ बर्बाद हैं
.....आंसू भरी मुझे किस्मत मिली हैं जिंदगी नाशाद हैं... 
●...जब-जब फूल खिले तुझे याद किया हमने
.....देख अकेला हमें हमें घेर लिया गम ने...

इस जोड़ी ने रजत-पटल को अपनी अदाकारी और गायिकी से इस तरह लुभाया कि इसके बाद हर एक अभिनेता ने उस आवाज़ को अपने लिये गंवाने की इच्छा ज़ाहिर की और फिर तो उन्होंने लगभग सभी बड़े सितारे देव आनंद, राज कपूर, सुनील दत्त आदि के लिए भी लाजवाब गीत गाये और जब भी किसी के लिये पार्श्व गायन किया तो रजत-पर्दे पर उसे देखकर किसी को भी नहीं लगा कि ये उस अदाकार की अपनी वास्तविक आवाज़ नहीं हैं इतनी विविधता और स्वर-साधना थी उनकी कि हर किसी के साथ तालमेल बिठा लेते और कोई भी लफ्ज़ या सुर कभी भी बेसुरा नहीं होता तभी तो संगीत-सम्राट नौशाद ने उनके लिये कहा कि--- "तलत महमूद के बारे में मेरी राय बहुत ऊँची है । उनकी गायिकी का अंदाज अलग है, जब वह अपनी मखमली आवाज़ से अनोखे अंदाज में ग़ज़ल गाते हैं, तो ग़ज़ल की असली मिठास का अहसास होता है । उनकी भाषा पर अच्छी पकड़ है और उन्हें पता है कि किस शब्द पर ज़ोर देना हैऔर  तलत के होंठो से निकले किसी शब्द को समझने में कठिनाई नहीं होती ।"

फ़िल्मी संगीत का खज़ाना उनकी दिलकश आवाज़ के बेहतरीन नगीनों से भरा पड़ा हैं जिसे सुनकर उनकी गायिकी के इस अलग अंदाज़ को समझा जा सकता हैं---

●...मोहोब्बत ही ना जो समझे
.....वो जालिम प्यार क्या जाने
●...आंसू समझ के क्यूँ मुझे आँख से तुमने गिरा दिया
.....मोती किसी के प्यार का मिटटी में क्यों मिला दिया...
●...जलते हैं जिसके लिये तेरी आँखों के दिये
.....ढूंढ लाया हूँ वही गीत मैं तेरे लिये...
●...अहा रिमझिम के ये प्यारे-प्यारे गीत लिये
.....आई शाम सुहानी देखो प्रीत लिये....
●... इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा के मैं एक बादल आवारा
..... कैसे किसी का सहारा बनूं के मैं खुद बेघर बंजारा...
●...जाएँ तो जाएँ कहाँ समझेगा कौन यहाँ
.....दर्द भरे दिल की जुबाँ....
●...सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया
.....दिन में अगर चराग जलाये तो क्या किया ?
●...मेरा करार ले जा मुझे बेकरार कर जा
.....दम भर तो प्यार कर जा...
●...हमसे आया न गया तुमसे बुलाया न गया
.....फासला प्यार में दोनों से मिटाया न गया...
●...प्यार पर बस तो नहीं हैं मेरा लेकिन फिर भी
.....तू बता दे के तुझे प्यार करूं या न करूं...
●...ज़िंदगी देने वाले सुन तेरी दुनिया से जी भर गया
.....मैं यहाँ जीते-जी मर गया...
●...अंधे जहान के अंधे रास्ते जाये तो जाये कहाँ
.....दुनिया तो दुनिया तू भी पराया हम यहाँ न वहां...
●...दिले नादाँ तुझे हुआ क्या है
.....आख़िर इस दर्द की दवा क्या हैं ?
●...फिर वही शाम वही गम वही तनहाई है
.....दिल को समझाने तेरी याद चली आई हैं...
देख ली तेरी खुदाई, बस मेरा दिल भर गया
●...मैं दिल हूँ एक अरमान भरा
●...मेरी याद में तुम ना आंसू बहाना
●...तस्वीर बनाता हूँ... तस्वीर नहीं बनती...
●...ऐ गमे दिल क्या करूं... ऐ वहशते दिल क्या करूं...
●...तू आये न आये तेरी ख़ुशी हम आस लगाये बैठे हैं...
●...बेचैन नजर बेताब जिगर ये दिल हैं किसी का दीवाना

सच... इतने प्यारे-प्यारे और मदहोश कर देने वाले एक-से बढ़कर एक गीत हैं कि अपने आप याद आते जा रहे और किसी को भी छोड़ने का मन नहीं कर रहा क्योंकि यही तो अब उनकी धरोहर रह गई हैं हमारे पास जो उनकी याद को भूलने न देगी । उन्होंने आजीवन अपनी उत्कृष्ट गायिकी से गज़ल जैसी विधा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया बतौर उनके कथनानुसार- "ग़ज़ल प्रेम का गीत होती है, हम उसे बाज़ारू क्यों बना रहे हैं, इसकी पवित्रता को नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। तभी तो उस दौर में उन्हें विदेश जाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का सुअवसर भी मिला और इस अथक साधना के लिये उन्हें पद्मभूषणजैसी उपाधि से भी सम्मानित किया गया... तो आज उनके जन्मदिवस पर उनके सभी प्रशंसकों की और से ये शब्दांजली और शुकराना उस रब का जिसने हमें ये मखमली दिल के दर्द को मिटाने वाली आवाज़ की नेमत बख्शी... :) :) :) !!!
____________________________________________________
२४ फरवरी २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
●--------------●------------●

कोई टिप्पणी नहीं: